शिवरीनारायण मेला शुरू, भगवान राम ने यहीं चखे थे शबरी के झूठे बेर

जांजगीर चाम्पा
 मंदिरों का शहर कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में पंद्रह दिवसीय माघ पूर्णिमा मेला आज से शुरू हो गया है। इसमें शामिल होने के लिए क्षेत्र सहित दूरदराज के लोग आते हैं। यह माघ पूर्णिमा से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन ओडिसा के पुरी से भगवान जगन्नाथ चलकर शिवरीनारायण के मुख्य मंदिर में विराजते हैं। इस तरह शिवरीनारायण दो राज्यों की आस्था का केन्द्र है। यहां ओडिसा से भी भक्तगण बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

ऐसा माना जाता है कि रामायण काल में अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम यहां आए थे और सबरी ने यहीं उन्हें अपने झूठे बेर खिलाए थे। भगवान जगन्नाथ और प्रभु श्रीराम से जुड़ इस आस्था के केंद्र में हर साल मेला सजता है।

भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है शिवरीनारायण
गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान शिवरीनारायण है। पहले भगवान जगन्नाथ का विग्रह शिवरीनारायण में ही था। कालांतर में शिवरीनारायण घनघोर जंगल था, जहां दूर से नित्य प्रतिदिन एक पुजारी भगवान का पूजन करने सुबह पहुंचते और भगवान का पूजन और भोग लगाने के बाद दोपहर विश्राम करते इसके बाद शाम होने से पहले भगवान जगन्नाथ की संध्या आरती करने के बाद अपने गंतव्य को वापस लौट जाया करते थे।

पुजारी की इस क्रिया पर राजा के गुप्तचर बड़ी बारीकी से नजर रख रहे थे। गुप्तचरों ने पुजारी की लड़की से पूछा कि उसके पिता रोज सुबह कहां जाते हैं। लड़की ने कहा कि उसे नहीं पता तब गुप्तचरों ने लड़की को एक युक्ति बताई। जब उसके पिता जाएं तब वह भी जाने की जिद करे और अपने साथ बाजरा को अपने हाथ से गिराते हुए जाए। यह कहकर गुप्तचर चले गए।

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