शासकीय कार्यों को वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए: सूचना आयुक्त अग्रवाल

जगदलपुर
राज्य सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल ने आज यहां कलेक्टोरेट में सूचना का अधिकार विषय पर आयोजित संभाग स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे मेें जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त श्री मोहनराव पवार, बस्तर कमिश्नर श्री अमृत कुमार खलखो, कलेक्टर बस्तर डॉ. अय्याज तम्बोली भी उपस्थित थे।

अग्रवाल ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि सूचना आयोग को जनसूचना अधिकारी पर ना केवल जुर्माना लगाने का अधिकार है, बल्कि आवेदक को क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए आदेश पारित करने का भी अधिकार है। यह क्षति पूर्ति राशि लोक प्राधिकारी द्वारा जनसूचना अधिकारी से वसूल कर आवेदक को दिए जाने का प्रावधान अधिनियम में है, इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आवेदक को सूचना उपलब्ध कराएं। उन्होंने जनसूचना अधिकारियों से कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटो कॉपी कराई जाए। श्री अग्रवाल ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। साथ ही आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और पदनाम की भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को अंतरित किया जाए।

राज्य सूचना आयुक्त श्री मोहनराव पवार ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाना है। इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं। ये अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के मेरूदण्ड हैं। इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढं़े, इससे गलती की संभावना कम होगी। इसमें जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क पर विशेष ध्यान रखें। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। जनसूचना अधिकारी को पूर्वाग्रह से भी बचना चाहिए। श्री पवार ने कहा कि सूचना आयोग पेनाल्टी लगाने वाली संस्था नहीं है, लेकिन जानबूझकर जानकारी नहीं देने अथवा गलती करने पर पेनाल्टी लगाना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए।

 बस्तर संभाग के कमिश्नर श्री अमृत कुमार खलखो ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है। जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि यह कार्यशाला जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियांे के लिए उपयोगी साबित होगा। कार्यशाला के अंतिम सत्र में सूचना आयुक्तद्वय श्री अशोक अग्रवाल और श्री मोहनराव पवार ने जनसूचना अधिकारियों के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया।

 कार्यशाला के प्रारंभ में सूचना आयुक्तद्वय श्री अशोक अग्रवाल और श्री मोहनराव पवार तथा कमिश्नर बस्तर श्री अमृत कुमार खलखो ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला में बस्तर संभाग के सभी जिलों के जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *