शहद की मिठास घुल रही बिहार के नक्सल प्रभावित जमीन पर
बांका
बिहार के बांका जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बेलहर की बारूदी जमीन पर इन दिनों शहद की मिठास घुल रही है। यहां के आधे दर्जन गांवों में करीब 50 से अधिक किसान मधुमक्खी पालन को अपने जीने का जरिया बनाया है। इसमें एक दर्जन से अधिक महिला किसान भी शामिल हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अमूमन मई से अगस्त तक शहद उत्पादन नहीं हो पाता है। इस समय अधिकांश पौधों पर फूल नहीं खिलते हैं। जिससे मधुमक्खी फूल के रस से शहद नहीं तैयार कर पाते हैं। इस दौरान मधुमक्खी को चीनी की चासनी पर जिंदा रखा जाता है। लेकिन बेलहर क्षेत्र में बड़ी संख्या में ताड़ और खजूर के पेड़ के साथ ही एक विषेश प्रकार के जंगली घास उपलब्ध हैं। जिस पर फूल खिले हैं और उस फूल पर मधुमक्खी अपना डेरा जमा उसके रस से शहद इक्टठा करते हैं। जिससे अभी यहां 10 क्विंटल तक शहद का उत्पादन हो रहा है। जबकि बेलहर के अलावा जिले के अन्य किसी इलाकों में शहद उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बेलहर क्षेत्र में उत्पादन हो रहे शहद की मार्केटिंग बांका के अलावा पड़ोसी जिला भागलपुर, मुंगेर एवं जमुई तक की जा रही है। मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को विकसित करने के लिए विभाग की ओर से यहां एफपीओ गठित कर उसमें 125 किसानों को शामिल किया गया है।
उद्यान विभाग दे रहा तकनीकी सहयोग
जिले में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग की शाखा उद्यान विभाग की ओर से किसानों को तकनीकी सहयोग व सहायता दी जा रही है। विभाग की ओर से मधुमक्खी पालन के लिए बेलहर के डुमरिया, अमगढवा, गोरगांवा, बनगामा, हथिया व सुराही गांव के करीब 50 किसानों को 1200 बक्से दिए गए हैं। इससे पूर्व इन किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी उद्यान विभाग के वैज्ञानिकों ने दिया है।