वैचारिक महाकुंभ पर तीन दिन में फूंके गए 32 करोड़ की जांच कराएगी सरकार

भोपाल
कमलनाथ सरकार जल्द ही वैचारिक महाकुंभ के दौरान तीन दिन में पानी की तरह बहाए गए पैसे की जांच कराने की तैयारी कर रही है। खास बात यह है कि इस तीन दिनी आयोजन में ही शिवराज सरकार ने करीब 32 करोड़ रुपए खर्च कर दिए थे। हाल ही में सरकार को मिली शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सरकार के चहेते अफसरों ने फर्जी बिल लगाकर वैचारिक महाकुंभ में करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। शिकायत पर गंभीरता दिखाते हुए कमलनाथ सरकार इसकी जांच ईओडब्ल्यू से कराने की तैयारी कर रही है। यह आयोजन सिंहस्थ के ठीक पहले 12 से 14 मई 2016 को उज्जैन जिले के निनोरा में किया गया था। खास बात यह है कि इस आयोजन में संघ और उसकी विचारधारा के लोगों को ही बुलाया गया था।

31.90 करोड़ से ज्यादा खर्च
जानकारी के अनुसार इस आयोजन पर शिवराज सरकार ने 31.90 करोड़ खर्च किए थे। यह खर्च केवल चिंतकों को बुलाने और उनके इंतजामों पर किया गया था। जमीन अधिग्रहण, विकास कार्य और अन्य इंतजामों का खर्च अलग है। खास बात यह है कि इसमें आने वाले लोगों को सरकार ने हवाई जहाज से आने जाने की सुविधा दी थी।

जांच की वजह
प्रदेश में कांगे्रस सरकार बनने के बाद फरवरी 2019 में उज्जैन जिला कांगे्रस ने सरकार को पत्र लिखकर मई 2016 में हुए निनोरा मंथन की जांच की मांग की। इसमें जांच आयोग गठिन करने के लिए कहा गया। इसके बाद मंथन की जांच की कवायद शुरू हुई। निनोरा मंथन के समय 61 किसानों की जमीन का अस्थाई अधिग्रहण किया गया था। तब उन किसानों को 16.17 लाख का मुआवजा दिया गया लेकिन अनेक किसानों ने इसे कम और गलत ठहराया। जुलाई के विस सत्र में विधायक कुणाल चौधरी और महेश परमार ने इस मामले को उठाया। इसके बाद अब मामले में जल्द जांच टीम गठित की जा सकती है। इसमें संघ विचारक व भाजपा समर्थित संस्थाओं को भुगतान पर फोकस किया जाएगा।

विपक्ष में रहते कांग्रेस ने बनाई थी जांच कमेटी
गौरतलब है कि उज्जैन सिंहस्थ 2016 पहले से सवालों के घेरे में है। कांगे्रस ने इसे घोटालों का सिंहस्थ करार दिया था। सिंहस्थ के समय विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने तत्कालीन विधायक और मौजूदा गृहमंत्री बाला बच्चन की अध्यक्षता में विधायकों की टीम बनाई थी। तब टीम ने घोटाले की जांच करके एक रिपोर्ट दी थी। इस पर भी सरकार जांच कराने वाली है। यह रिपोर्ट उस समय शासन को सौंपी गई थी।

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