वैक्सीन की उम्मीद अब अगले साल, जुलाई या अगस्त में पीक पर पहुंच सकते हैं कोरोना के मामले!

 
नई दिल्ली

देश में कोरोना वायरस के मामले अब तेजी से बढ़ रहे हैं और हाल फिलहाल इसमें कमी आने की संभावना नहीं है। भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3 लाख के करीब पहुंच चुकी है और आने वाले दिनों में इसके और विकराल होने की आशंका है। विशेषज्ञों के मुताबिक जुलाई के मध्य में या अगस्त की शुरुआत में देश में देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या चरम पर पहुंच सकती है। चिंता की बात यह है कि अभी से देश में कई राज्य सरकारों की स्वास्थ्य व्यवस्था का दम फूलने लगा है, जब देश में कोरोना के मामले पीक पर होंगे तो क्या स्थिति होगी।
 दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के वाइस चेयरमैन डॉ. एसपी बायोत्रा के मुताबिक कोरोना का कर्व हाल-फिलहाल फ्लैट होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘जुलाई के मध्य में या अगस्त में देश में कोरोना के मामले पीक पर पहुंच सकते हैं। मुझे नहीं लगता है कि अगले साल की पहली तिमाही से पहले वैक्सीन आएगी।’
 
रोज करीब 10 हजार मामले
देश में अब रोजाना कोरोना के करीब 10 हजार नए मामले आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक आज सुबह 8 बजे तक देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 10,956 नए मामले सामने आए। देश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2,97,535 पहुंच चुकी है। अच्छी बात यह है कि इनमें से 1,47,195 लोग इस महामारी से उबर चुके हैं। कोरोना से देश में 8498 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में अब अमेरिका, ब्राजील और रूस के बाद चौथे स्थान पर पहुंच चुका है।
 
विकराल हो सकती है स्थिति
अगर देश में कोरोना के मामले इसी रफ्तार से बढ़े तो भयावह स्थिति हो सकती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि 31 जुलाई तक शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 5.5 लाख तक पहुंच सकती है। सोचिए अगर दिल्ली में ही इतने मरीज होंगे तो देश का क्या स्थिति होगी। अभी दिल्ली देश में कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों की सूची में तीसरे स्थान पर है। दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 34687 है जिनमें से 1085 की मौत हो चुकी है। राजधानी में 12731 लोग कोरोना से उबर चुके हैं।

चरमराने लगी है स्वास्थ्य व्यवस्था
इतने ही मामलों में दिल्ली सरकार के हाथपैर फूलने लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि दिल्ली में कोरोना मरीजों की हालत जानवरों से भी बदतर है। लेकिन इसके पीछे की डरावनी जमीनी हकीकत दिल्लीवाले पिछले कई दिनों से देख रहे हैं। हॉस्पिटलों में बेड नहीं है, मरीज जहां-तहां पड़े हैं। कोई कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट्स पर सवाल उठा रहा है, कोई हॉस्पिटल पर राजनीति करने का आरोप लगा रहा है तो कहीं मौत के आंकड़े पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बीच आम दिल्लीवाला परेशान है कि आखिर वो कहां जाए। सवाल यह है कि जब कोरोना के मामले पीक पर होंगे तो मरीजों की क्या स्थिति होगी।

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