विशाखापट्टनम गैस कांड कंपनी की लापरवाही से हुआ

विशाखापट्टनम

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलिमर्स कंपनी की लापरवाही के चलते स्टाइरीन गैस रिसाव हुआ था. यह खुलासा मॉनिटरिंग कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष दाखिल अपनी रिपोर्ट में किया है. मॉनिटरिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एलजी पॉलिमर्स कंपनी की लापरवाही और ट्रेनिंग के अभाव में गैस रिसाव हुआ, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में 22 जानवर भी मारे गए थे.

मॉनिटरिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एलजी पॉलिमर्स कंपनी ने स्टाइरीन गैस प्लांट में बुनियादी सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया था. साथ ही 800 टन से ज्यादा स्टाइरीन गैस को प्लांट से निकाला गया. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस बी. शेषासायण रेड्डी के नेतृत्व वाली जॉइंट मॉनिटरिंग कमेटी ने फैक्ट्री सेफ्टी इंस्पेक्टर्स और सेफ्टी स्टैंडर्ड के पैन इंडिया ऑडिट की भी जांच की.

मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि गैस का टैंक पुरानी डिजाइन का है. साथ ही सुरक्षा उपकरण भी नहीं उपलब्ध कराए गए थे. रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि गैस रिसाव की घटना से कैसे निपटा जाए, इसकी जानकारी न तो फैक्ट्री के इंस्पेक्टर को थी और न ही फायर अधिकारियों को थी. इसके अलावा गैस रिसाव के बाद विशाखापट्टनम और विजयनगरम जिला प्रशासकों के बीच राहत व बचाव कार्य के दौरान तालमेल भी नहीं था.

आपको बता दें कि 7 मई और 10 मई को विशाखापट्टनम स्थित एलजी पॉलिमर कंपनी में जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई थी और कई लोग इसकी चपेट में आने से बीमार पड़ गए थे. इस हादसे के बाद कंपनी के आसपास के गांवों को खाली कराया गया था.

इस हादसे के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी खुद विशाखापट्टनम पहुंचे थे और पीड़ितों से मुलाकात की थी. सीएम रेड्डी ने गैस रिसाव में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये के मुआवजे का ऐलान किया था. साथ ही इसकी चपेट में आने वाले पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी.

 

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