विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को चीन की मंजूरी

हॉन्ग कॉन्ग
चीन के शीर्ष विधायी निकाय नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी ने मंगलवार को सर्वसम्मति से हॉन्ग कॉन्ग के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया है। इस कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, विदेशी ताकतों के साथ अलगाव, तोड़फोड़, आतंकवाद के दोषी व्यक्ति को अधिकतम उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी के 162 सदस्यों ने कानून को पेश किए जाने के 15 मिनट के अंदर सर्वसम्मति से इसे मंजूरी दे दी। हॉन्ग कॉन्ग में यह कानून 1 जुलाई से प्रभावी हो जाएगा।

हॉन्ग कॉन्ग में अपना ऑफिस खोलेंगी चीनी सुरक्षा एजेंसियां
हॉन्ग कॉन्ग स्थित अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को हॉन्ग कॉन्ग की कानून व्यवस्था में शामिल किया जाएगा। इस कानून में मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपियों को सीमा पार कर चीनी मुख्य भू भाग नहीं भेजा जाएगा। इस नए कानून से चीन की सुरक्षा एजेंसियों को पहली बार हॉन्ग कॉन्ग में अपने प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति मिल जाएगी।

हॉन्ग कॉन्ग में कानून लागू करने का चीन को अधिकार नहीं
बहरहाल हॉन्ग कॉन्ग बॉर एसोशिएसन ने कहा कि चीन का प्रस्तावित नया सुरक्षा कानून अदालतों में दिक्कतों में फंस सकता है क्योंकि बीजिंग के पास अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी के लिए लागू करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इस कानून को लेकर हॉन्ग कॉन्ग में जबरदस्त विरोध हो रहा है।

1997 से चीन के कब्जे में है हॉन्ग-कॉन्ग
पेइचिंग हॉन्ग-कॉन्ग की राजनीतिक उठापटक को अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि हॉन्ग-कॉन्ग ब्रिटिश शासन से चीन के हाथ 1997 में 'एक देश, दो व्यवस्था' के तहत आया और उसे खुद के भी कुछ अधिकार मिले हैं। इसमें अलग न्यायपालिका और नागरिकों के लिए आजादी के अधिकार शामिल हैं। यह व्यवस्था 2047 तक के लिए है।

कैसे ब्रिटेन के कब्जे में आया था हॉन्ग कॉन्ग
1942 में हुए प्रथम अफीम युद्ध में चीन को हराकर ब्रिटिश सेना ने पहली बार हॉन्ग कॉन्ग पर कब्जा जमा लिया था। बाद में हुए दूसरे अफीम युद्ध में चीन को ब्रिटेन के हाथों और हार का सामना करना पड़ा। इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए 1898 में ब्रिटेन ने चीन से कुछ अतिरिक्त इलाकों को 99 साल की लीज पर लिया था। ब्रिटिश शासन में हॉन्ग कॉन्ग ने तेजी से प्रगति की।

चीन को सौंपने की कहानी
1982 में ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग को चीन को सौंपने की कार्रवाई शुरू कर दी जो 1997 में जाकर पूरी हुई। चीन ने एक देश दो व्यवस्था के तहत हॉन्ग कॉन्ग को स्वायत्तता देने का वादा किया था। चीन ने कहा था कि हॉन्ग कॉन्ग को अगले 50 सालों तक विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर सभी तरह की आजादी हासिल होगी। बाद में चीन ने एक समझौते के तहत इसे विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बना दिया।

 

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