विभिन्न मुद्दों पर अलग मोदी-नीतीश की राय, जेडीयू ने अबतक जारी नहीं किया घोषणा पत्र

 
पटना 

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) भले ही बिहार में एकसाथ चुनाव लड़ रही हैं। लेकिन कई मुद्दों पर दोनों पार्टियों की राय बिल्कुल अलग है, जिसका डर दोनों को सता भी रहा है। यही वजह है कि तीन चरणों की वोटिंग होने के बावजूद जेडीयू ने अपना घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। अब सोमवार को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की वोटिंग होनी है। इसी के साथ बिहार में भी चौथे फेज की वोटिंग पूरी हो जाएगी लेकिन जेडीयू ने अबतक अपना घोषणा पत्र जनता के सामने नहीं रखा है। इसके पीछे बीजेपी के प्रेशर की बात कही जा रही है क्योंकि विभिन्न मुद्दों पर दोनों पार्टी एकमत नहीं हो रहीं। 
 
आर्टिकल 370, राम मंदिर पर अलग सोच 
अब अगर जेडीयू चुनाव संपन्न होने तक घोषणापत्र जारी नहीं करती है तो ऐसा 2003 में पार्टी के बनने के बाद से अबतक पहली बार होगा। बता दें कि पहले पार्टी 14 अप्रैल को अपना 'निश्चय पत्र' रिलीज करनेवाली थी। लेकिन फिर जेडीयू नेताओं को चिंता हुई कि आर्टिकल 370, आर्टिकल 35ए, यूनिफॉर्म सिविल कोड और राम मंदिर पर उनकी राय बीजेपी से अलग है। ऐसे में जनता को मतभेद दिखा तो राज्य में उनके गठबंधन को नुकसान हो सकता है। 
 
इसपर बात करते हुए एक सूत्र ने कहा, 'राम मंदिर और आर्टिल 370 पर जेडीयू की राय अलग है। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि वैचारिक मतभेद की वजह से चुनावी कैंपेन को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। जहां पीएम खुद 370 को खत्म करने और राम मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं वहीं नीतीश कुमार मोदी को फिर पीएम बनाने का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में बेहतर है कि चुनाव खत्म होने तक विवाद वाले मुद्दों को बाहर न लाया जाए।' 

घोषणा पत्र पर अलग मत 
घोषणा पत्र जारी होगा या नहीं इसपर भी पार्टी नेता एकमत नहीं हैं। जेडीयू के कुछ नेता कहते हैं कि घोषणा पत्र आएगा वहीं कुछ के मुताबिक, इसकी जरूरत ही नहीं है। शनिवार को जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण ने कहा कि वे अगले हफ्ते तक मैनिफेस्टो जारी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में घोषणा पत्र तैयार करनेवाली कमिटी की मीटिंग भी हुई थी। इसमें सीनियर नेता के सी त्यागी, राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन वर्मा आदि शामिल हैं। वहीं दूसरी तरफ जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि लोगों को नीतीश कुमार पर भरोसा है और लोग विकास के नाम पर एनडीए को वोट देंगे और ऐसे में घोषणा पत्र कोई मायने नहीं रखता। 
 

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