विभागों के बंटवारे को ‘5 C’ से समझिए: मोदी सरकार 2.0

 
नई दिल्ली 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथग्रहण ग्रहण के अगले दिन मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया। 4 बड़े मंत्रालयों- गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय को क्रमशः अमित शाह, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण और एस. जयशंकर को मिला है। मोदी 2.0 कैबिनेट पर अगर बारीकी से नजर डालें तो यह '5C' से परिभाषित होता है। आइए देखते हैं नई टीम मोदी में क्या हैं ये '5C'। 
 
कंटिन्यूटी यानी निरंतरता 
पिछली एनडीए सरकार के तमाम मंत्रियों को इस बार भी रखा गया है। उनके पोर्टफोलियो या तो पहले की तरह ही रहे हैं या फिर उन्हें उन मंत्रालयों के अलावा कुछ के अतिरिक्त प्रभार दिए गए हैं। नितिन गडकरी को पिछली बार की ही तरह सड़क परिवहन मंत्री बनाया गया है और उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्य उद्योग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। मुख्तार अब्बास नकवी को भी पिछली बार की ही तरह अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया है। राज्य मंत्री हरदीप पुरी के भी शहरी मामलों के मंत्रालय को रीटेन किया गया है। साथ में उन्हें नागिरक उड्डयन के साथ-साथ वाणिज्य और उद्योग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। 

कॉम्पिटेंस यानी क्षमता 
पूर्व विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर को विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी देना दिखाता है कि पीएम मोदी ने विशेषज्ञ को वरीयता दी है। पिछले जनवरी को रिटायर हुए जयशंकर ने भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर डील को पास कराने में अहम भूमिका निभाई थी। इसी तरह निर्मला सीतारमण ने पिछली सरकार में जिस तरह बतौर रक्षा मंत्री राफेल डील को संसद से लेकर बाहर तक सरकार का मजबूती से बचाव किया, उसकी उनके भारत की पहली फुल-टाइम महिला वित्त मंत्री बनने में अहम भूमिका रही। 

कंपल्शन यानी मजबूरी 
पिछली बार की तरह बीजेपी ने इस बार भी न सिर्फ अकेले दम पर बहुमत हासिल किया है बल्कि अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रेकॉर्ड में भी सुधार किया है। इसके बावजूद मोदी ने सहयोगी दलों को भी कुछ मंत्रालय दिए हैं। कुछ मंत्रालयों को क्लब करते हुए किसी एक मंत्री के तहत कर दिया गया है। उदाहरण के तौर पर, पीयूष गोयल के पास रेलवे के साथ-साथ वाणिज्य और उद्योग की भी कमान है। ऐसा करने की वजह से मोदी जब आगे कैबिनेट का विस्तार करेंगे तो इन अतिरिक्त मंत्रालयों को सहयोगी दलों को आवंटित कर सकेंगे। हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं दिल्ली और बिहार में अगले साल चुनाव हैं। लिहाजा कैबिनेट विस्तार लाजिमी है और मजबूरी भी। एनडीए की प्रमुख सहयोगी जेडीयू ने कैबिनेट में यह कहकर शामिल होने से इनकार कर दिया कि उसे सांकेतिक प्रतिनिधित्व में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसी तरह शिवसेना ने भी और मंत्रालयों की मांग की थी लेकिन उसे सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री मिला। ऐसे में कैबिनेट विस्तार में सहयोगी दलों को साधा जा सकेगा। 

कास्ट यानी जाति 
मोदी सरकार में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश हुई है। सबसे ज्यादा 33 मंत्री अपरकास्ट से बनाए गए हैं। पिछली बार यह संख्या 20 थी। इसी तरह 12 मंत्री ओबीसी समुदाय से हैं। पिछली बार 13 थे। दलितों को पिछली बार के मुकाबले ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया गया है। पिछली बार 3 दलित मंत्री बने थे तो इस बार 6। इसके अलावा आदिवासी समुदाय से 4 लोगों को मंत्री बनाया गया है। पिछली बार यह संख्या 6 थी। 

कन्फ्यूजन यानी भ्रम 
इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि कैबिनेट में वास्तव में नंबर-2 कौन है। आम तौर पर गृह मंत्री को सरकार में नंबर-2 माना जाता है। भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल कैबिनेट में पीएम जवाहर लाल नेहरू के बाद दूसरे नंबर पर थे। विदेश दौरे जैसे मौकों पर प्रधानमंत्री की नामौजूदगी में गृह मंत्री कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करते हैं। पिछली सरकार में गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने तब पीएम मोदी के बाद दूसरे नंबर पर शपथ लिया था। इस बार भी उन्होंने मोदी के ठीक बाद शपथ लिया जो एक तरह से कैबिनेट में वरीयता क्रम का संकेत देता है। हालांकि, अब अमित शाह गृह मंत्री हैं और राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री की भूमिका में है। वैसे, यह पहले भी हो चुका है। 2004 में कांग्रेस के प्रणब मुखर्जी ने मनमोहन सिंह के ठीक बाद शपथ लिया था। वह भी रक्षा मंत्री थे, गृह मंत्री नहीं। यहां तक कि 2009 में भी मुखर्जी ने मनमोहन सिंह के ठीक बाद शपथ लिया और उस बार भी वह गृह मंत्री नहीं बल्कि वित्त मंत्री थे। 

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