विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड की पुलिस जांच पर रोक

बिलासपुर
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड की पुलिस जांच करने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। एनआईए की ओर से लगाई गई याचिका पर मंगलवार को कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है। भाजपा विधायक मंडावी की 9 अप्रैल को दंतेवाड़ा के नकुलनार में लोकसभा चुनाव के मतदान से ठीक दो दिन पहले नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। नक्सलियों ने विधायक के काफिले को आईईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया था। इस हमले में उनका ड्राइवर मारा गया, जबकि चार जवान शहीद हो गए थे।

मामला कोर्ट में है, इसलिए एनआईए अभी नहीं शुरू करेगी जांच

    दरअसल, भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच राज्य सरकार की ओर से पुलिस को सौंपी गई थी। राज्य सरकार ने जहां इस मामले की न्यायिक जांच का निर्णय लिया था। वहीं, केंद्र सरकार ने 17 मई को एनआईए जांच का आदेश देते हुए अधिसूचना जारी की थी। इस परिप्रेक्ष्य में एनआईए एक्ट और अधिकारक्षेत्र का हवाला देते हुए राज्य शासन से पुलिस जांच रोकने और मामले के दस्तावेज एनआईए को सौंपने को कहा गया था।

    हालांकि राज्य सरकार चाहती थी कि इसकी जांच राज्य पुलिस ही करे। इसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक पत्र भी केंद्र को लिखा था, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं दिया गया। ऐसा नहीं करने पर अदालत में आवेदन प्रस्तुत किया गया, लेकिन इसे नामंजूर कर दिया गया। एनआईए ने इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से घटना से संबंधित जानकारी नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए एडवोकेट किशोर भादुड़ी के जरिए हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की है।

    हाईकोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा की कोर्ट में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई। जिसके बाद पुलिस जांच के लिए राज्य सरकार पर रोक लगाने का निर्णय दिया गया। भीमा मंडावी की हत्या मामले में केन्द्र सरकार ने एनआईए को जांच का जिम्मा सौंपा था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से मामले में अलग से जांच की जा रही थी। हालांकि एनआईए के वकील का कहना है कि अभी मामला कोर्ट में है ऐसे में वह अभी इसकी जांच नहीं शुरू करेंगे।

    इस मामले में राज्य सरकार ने पहले ही घटना की न्यायिक जांच का निर्णय लेते हुए सिक्किम हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एसके अग्निहोत्री को जिम्मेदारी सौंपी है। आयोग सात बिंदुओं पर जांच कर रहा है। आयोग का मुख्यालय जगदलपुर रखा गया है।

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