विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाणपत्र पर कोर्ट का फैसला

अशोकनगर
विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस विधायक जजपाल सिंह जज्जी की जाति प्रमाण पत्र को लेकर ग्वालियर हाई कोर्ट में चल रहे मामले पर फैसला आ गया है। कोर्ट के द्वारा जारी आदेश में छानबीन समिति द्वारा विधायक  अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने संबंधी फैसले को समाप्त कर दिया है। साथ ही  छानबीन समिति को नए सिरे से इनकी  जाति प्रमाण पत्र पर छानबीन करने के आदेश जारी किया है।कोर्ट ने दस सूत्रीय बिंदु भी जांच के लिये तय किये है।इनके साथ साथ नया आदेश आने तक अनुसूचित जति प्रमाण पत्र के उपयोग पर रोक लगा दी  गई है।

जजपाल सिंह जज्जी के वकील एस एस गौतम ने बताया कि उनकी ओर से कोर्ट में छानबीन समिति द्वारा जज्जी  के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने संबंधी आदेश को  चुनौती दी  गई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि समिति द्वारा जो निर्णय लिया गया है वह दोषपूर्ण था।उसमें न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया था,साथ ही उनके मुवक्किल को पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया ,इसके अलावा उक्त फैसले में कुछ तकनीकी कमी हुई थी। माननीय कोर्ट ने इन्हीं बिंदुओं के आधार पर छानबीन समिति द्वारा जज्जी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने बाले आदेश को रद्द कर दिया है।

छानबीन समिति के आदेश को रद्द करने के साथ-साथ कोर्ट ने नए सिरे से इस मामले में फिर से जांच करने का आदेश छानबीन समिति को दिया है ।साथ ही 10 बिंदु भी इसके लिए तय किए हैं ।इसमें उन बातों को शामिल किया है जो छानबीन समिति के सामने जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र के विरोध में लोगों ने शिकायत की थी। 

हाई कोर्ट के द्वारा आज जो फैसला जारी किया गया है उसमें    जजपाल सिंह जज्जी के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने वाले फैसले को समाप्त करके जज्जी को कोर्ट ने फौरी तौर पर राहत दी है।वही इसी आदेश में कहा गया है कि छानबीन समिति जब तक नया आदेश पारित नही कर देती तब तक जज्जी इसका आगे उपयोग नही कर पाएंगे। हालांकि इसी मुद्दे पर दोनों पक्ष अपने अपने तरीके से बात कर रहे हैं। 

वर्ष 2013 में जजपाल सिंह जज्जी के दअनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को लेकर मध्य प्रदेश की जाति प्रमाण पत्र को लेकर काम करने वाली उच्च स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष कुछ शिकायतें की गई थी। जिनकी सुनवाई करते हुए छानबीन समिति  ने 16 सितम्बर 2013 को जज्जी का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। जज्जी ने इसी आदेश को कोर्ट में यह कह कर चुनोती दी थी कि उनके साथ न्याय नही किया एवं फैसला राजनीति से प्रेरित है।इस बीच कोर्ट ने सुनबाई के दौरान जज्जी को छानवीन समिति के आदेश पर स्टे भी दे दिया था।हालिया विधानसभा चुनाव में यह मामला तूल पकड़ा था।

अशोकनगर जिले की राजनीति में सनसनी मचाने वाले इस फैसले के सामने आते ही दिन भर से लोग कयास लगाते रहे। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात पर हो रही है क्या जज्जी की विधायकी  इस फैसले से प्रभावित होगी ।जजपाल  सिंह जज्जी के वकील का कहना है कि कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसके बाद अब छानबीन समिति को दोबारा से उनकी जाति तय करना है। दोबारा हुई जांच में यदि उनका प्रमाण पत्र रद्द किया जाता है, तो फिर आगे नियमानुसार कार्रवाई होगी और अगर यह प्रमाण पत्र समिति द्वारा मान्य कर लिया जाता है तो विधायकी पर किसी तरह का खतरा नहीं है।

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