विधानसभा स्पीकर के चुनाव पर मच सकती है खींचतान, भाजपा लड़ने के मूड में

भोपाल
 निर्दलीय और सपा-बसपा के समर्थन से सरकार बनाने में सफल हुई कांग्रेस के लिए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव भी एक चुनौती से कम नहीं है। भारतीय जनता पार्टी इस मूड में है कि कांग्रेस को स्पीकर के चुनाव में वाकओवर न दिया जाए। पार्टी इस लाइन पर विचार कर रही है कि स्पीकर के लिए अपना प्रत्याशी खड़ा किया जाए या नहीं।

भाजपा नेताओं की रुचि फिलहाल सरकार गिराने में तो नहीं, लेकिन वे कांग्रेस में मची खींचतान का फायदा उठाना चाहते हैं। स्पीकर के चुनाव में भाजपा को उम्मीद है कि उसे नाराज लोगों का साथ नहीं भी मिला तो कांग्रेस सरकार की कमजोर हालत जनता के सामने आ जाएगी। हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा ने स्पीकर के चुनाव की नई परंपरा डाली है तो वह भी विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भाजपा को नहीं देगी।

विधानसभा का गणित

230 सदस्यों वाली मप्र विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है। 114 विधायकों वाली सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के एक, बहुजन समाज पार्टी के दो और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी कैबिनेट में एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को मंत्री बनाया है, ताकि अपरिहार्य स्थिति में भी कांग्रेस सरकार पर कोई खतरा न मंडराए। इधर, भाजपा 109 विधायकों के साथ विपक्ष में है। ऐसे हालात में स्पीकर के लिए मतदान हुआ तो कांग्रेस को संकट का सामना करना पड़ सकता है।

मुश्किलों का करना पड़ेगा सामना

इस सरकार को विधानसभा के ताजे सत्र में एक से ज्यादा दफा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। सबसे पहले स्पीकर के चुनाव में फिर राज्यपाल के अभिभाषण पर। कमलनाथ खुद विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। कैबिनेट में मंत्री बनने को लेकर फिलहाल कई विधायक नाराज हैं। इन्हीं पर भाजपा की उम्मीद टिकी है। भाजपा इस उम्मीद में मौन बैठी है कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों में मची खींचतान का फायदा उसे बिना किसी प्रयास के मिल सकता है। दूसरा फायदा भाजपा को ये दिख रहा है कि कांग्रेस के नाराज विधायक कमलनाथ पर दबाव बढ़ाएंगे। कांग्रेस को भी भाजपा की इस रणनीति का अहसास है।

भाजपा में दो धड़े सक्रिय

भाजपा में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का निर्णय हाईकमान करेगा लेकिन इस मुद्दे पर पार्टी में इन दिनों दो धड़े बन गए हैं। एक चाहता है कि स्पीकर का चुनाव लड़ा जाए और कांग्रेस सरकार जल्द गिराई जाए। वहीं दूसरा धड़ा हाईकमान पर ये दबाव बना रहा है कि जिनकी वजह से भाजपा मप्र का चुनाव हारी है, पहले उन्हें किनारे किया जाए। इसका आशय उन नेताओं से है जो भाजपा सरकार में थे।

फिर उपाध्यक्ष का भी चुनाव होगा

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने स्पीकर के निर्विरोध चुनाव की परंपरा तोड़ी तो कांग्रेस विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भाजपा को नहीं देगी। ऐसे हालात में कांग्रेस उपाध्यक्ष पद के लिए अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी।

उचित समय पर निर्णय लेंगे – सहस्त्रबुद्धे

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मप्र प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे कहते हैं कि कांग्रेस सरकार में सपा-बसपा और सभी निर्दलीय असंतुष्ट हैं। वे लोग अपने मनोभाव सार्वजनिक रूप से व्यक्त भी कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस एक अल्पमत की सरकार जुगाड़ से चला रही है, जिसे विधानसभा में भी बहुमत साबित करना है। प्रदेश की सभी राजनीतिक परिस्थितियों पर भाजपा की नजर है, जिन पर उचित समय पर निर्णय लिए जाएंगे।

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