विधानसभा अध्यक्ष के घर पहुंचे नेता प्रतिपक्ष, लोधी पर नहीं बनी बात

भोपाल
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव से 45 मिनट चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा लोधी के मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने निर्णय नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सजा होते ही उसी क्षण सदस्यता रद्द हो जाती है। कोर्ट ने सजा दी है। मैंने तो कार्यवाही को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि 30 अक्टूबर  को फैसला हुआ तीन दिन बाद 2 नवम्बर की शाम 6 बजे मैंने इस जानकारी को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। मेरे लिए सब विधायक एक बराबर है। भाजपा नेताओं  द्वारा विधानसभा अध्यक्ष पर मिलने के लिए समय नहीं देने के लगाए आरोपों पर उन्होंने कहा कि ऐसे आरोपों से ज्यादा दुखी हूं। संवैधानिक पद पर  ऐसे आरोप ठीक नहीं, मैं निष्पक्ष हूं।  टेलीफोन पर चर्चा हुई थी। मैं जनप्रतिनिधि हूं  क्षेत्र में कार्यक्रम थे। राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक है। ऐसी कुछ चर्चा जो नहीं चलना चाहिए थी,उसको सार्वजनिक रूप से ऐसा प्रस्तुत नहीं करना चाहिए, जिससे जनता में गलत संदेश जाए।

वरिष्ठ नेता और विधायक दल तय करेगा रणनीति
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि लोधी की सदस्यता  के बारे में उनकी विधानसभा अध्यक्ष से गंभीरता से बात हुई है। उन्हें अध्यक्ष ने बताया कि मामला अब सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। इसलिए बहाली का निर्णय वे नहीं ले सकते हैं। हम विधायक दल की बैठक और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ में लोधी की बहाली को लेकर आगामी रणनीति तय करेंगे।

संवाद न हो समाप्त
गोपाल भार्गव ने कहा कि 35 साल से ज्यादा यहां का सदस्य हूं। अनुभव के आधार पर मेरी मान्यता रही कि संवाद समाप्त नहीं होना चाहिए। मेरा प्राथमिक चरण था कि अध्यक्ष से निवेदन करूं ताकि अपने साथी कि सदन में बैठने की बात हो सके। अध्यक्ष किसी पार्टी के नहीं होते। वे हमारे संरक्षक है। अध्यक्ष से यही अपेक्षा है कि हाईकोर्ट ने उनकी सजा को रोक दिया है तो सदस्य को बैठने की अनुमति दें।

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