विद्युत क्षेत्र की मुश्किलें बढ़ीं, वितरण कंपनियों पर बकाया 25% बढ़ा

नई दिल्ली 
बिजली क्षेत्र में दबाव के बीच विद्युत उत्पादन करने वाली कंपनियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं, क्योंकि इस साल अक्टूबर में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर उनका बकाया 24.7 प्रतिशत बढ़कर 39,498 करोड़ रुपया हो गया। तापीय बिजली का उत्पादन करने वाली एक कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'अगर डिस्कॉम कंपनियों पर पिछले 60 दिन के बकाये को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 50,000 करोड़ रुपये के आकंड़े को पार कर जाएगा।'  

वेबसाइट प्राप्ति (पेमेंट रेटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपेरेंसी इन इनवॉयसिंग ऑफ जेनरेटर्स) पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2017 में डिस्कॉम कंपनियों पर बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों का बकाया बढ़कर 31,676 करोड़ रुपये हो गए। 

भुगतान में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने पिछले साल इस वेबसाइट की शुरुआत की थी। पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुल बकाये में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली और तमिलनाडु की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। इन राज्यों के डिस्कॉम भुगतान के लिए 514 दिन से अधिक (करीब एक साल चार महीने) का समय लेती हैं। 

इनमें उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा 537 दिन, दिल्ली (519) , महाराष्ट्र (518), कर्नाटक (517 दिन), राजस्थान (516), तमिलनाडु (515), तेलंगाना (514) और आंध्र प्रदेश (514). कुल 39,498 करोड़ रुपये के बकाए का 55 प्रतिशत सरकारी क्षेत्र की ताप बिजली कंपनियों का है।इसमें अकेले एनटीपीसी का बकाया ही 15,661.31 करोड़ रुपए है। 

इसके अलावा, एनचएपीसी को 3,011.67 करोड़ रुपए तथा दामोदर वैली कार्पोरेशन को 1990.59 करोड़ रुपए रुपए के भुगतान की प्रतीक्षा है। इसी तरह निजी क्षेत्र की कंपनियों में अडानी पावर का बिजली वितरण कंपनियों पर 6,878.94 करोड़ रुपए, बजाज समूह की ललितपुर पावर जनरेशन कंपनी लि का 1,861 करोड़ रुपए जीएमआर का 1630.40 करोड़ रुपए तथा सेम्बकॉर्प एनर्जी का 1,712.32 करोड़ रुपए बकाया है।

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