भारत को 2024 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण, लेकिन मुमकिन: मोदी
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि देश को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन राज्यों के साथ संयुक्त प्रयास से इसे हासिल किया जा सकता है। उन्होंने राज्यों से अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने और सकल घरेलू उत्पाद बढ़ाने पर जोर देने को कहा। नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवीं बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कृषि में संरचनात्मक सुधारों को लेकर कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा केंद्रीय मंत्रियों को लेकर एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति गठित करने की घोषणा की।
बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को छोड़कर लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह स्वास्थ्य कारणों से इसमें शामिल नहीं हुए जबकि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी जर्मनी में होने के कारण बैठक में नहीं आ सके। बनर्जी ने पूर्व में कहा था कि वह बैठक में शामिल नहीं होंगी क्योंकि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्ति नहीं है और उसकी बैठक में भाग लेने का कोई मतलब नहीं है। वहीं राव महत्वकांक्षी 80,000 करोड़ रुपये की कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना शुरू करने की तैयारी में लगे होने के कारण नहीं आ पाये।
बैठक के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि कृषि सुधारों पर गठित समिति के बारे में ब्योरा अगले कुछ दिनों में जारी किया जाएगा। समिति दो-तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। ममता के बैठक में शामिल नहीं होने के बारे में कुमार ने कहा कि यह अफसोसजनक है कि वह नहीं आयीं क्योंकि उनका योगदान लाभकारी होता। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित बैठक में अपने संबोधन में हर भारतीय को अधिकार सम्पन्न बनाने और लोगों की जिंदगी अधिक सुगम बनाने के कार्य पर भी जोर दिया।
पत्र सूचना कार्यालय की एक विज्ञप्ति के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने 'टीम इंडिया' के रूप में आयोजित इस सम्मेलन में अपने प्रारंभिक संबोधन में देश में गरीबी, बेरोजगारी, सूखा, बाढ़, प्रदूषण भ्रष्टाचार और हिंसा आदि के खिलाफ सामूहिक लड़ाई का आह्वान किया। मोदी ने 17वीं लोक सभा के चुनाव को दुनिया में लोकतंत्र की सबसे बड़ी कवायद बताया और कहा कि अब समय है कि सब मिल कर भारत के विकास में लग जाएं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ''सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र को पूरा करने में नीति आयोग को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने आयोग की संचालन परिषद के सभी सदस्यों से ''सरकार का ऐसा ढांचा तैयार करने में मदद का आह्वान किया जो कारगर हो और जिसमें लोगों का भरोसा हो।
सहयोगपूर्ण संघवाद के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ''देश को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसमें राज्यों के संयुक्त प्रयास के साथ इसे हासिल किया जा सकता है।" मार्च 2019 में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2,750 अरब डॉलर होने का का अनुमान है। देश के विकास में निर्यात की अहमियत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ''प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिये केंद्र तथा राज्यों दोनों को निर्यात में वृद्धि की दिशा में काम करना चाहिए। पूर्वोत्तर समेत कई राज्यों में निर्यात के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं जिनका उपयोग नहीं हुआ है।" उन्होंने कहा कि राज्यों के स्तर पर निर्यात पर जोर से आय और रोजगार को गति मिलेगी।
मोदी ने कहा कि राज्यों को अपनी क्षमता पहचाननी होगी और जीडीपी लक्ष्य बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ''यहां बैठे सभी लोगों का 2022 तक नया भारत बनाने का एक साझा लक्ष्य है।" उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान और प्रधानमंत्री आवास योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य मिलकर क्या नहीं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सशक्तिकरण और जीवन सुगमता हर भारतीय को उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा, ''महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ के लिये जो लक्ष्य रखे गये हैं, उसे हर हाल में हासिल किया जाना चाहिए और आजादी की 75वीं वर्षंगांठ को लेकर जो लक्ष्य रखे गये हैं, उसे हासिल करने की दिशा में काम करना चाहिए।"
जीवन के लिये जल को महत्वपूर्ण तत्व बताते हुए मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के अपर्याप्त प्रयासों का असर सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ता है। उन्होंने कहा, ''नवगठित जल शक्ति मंत्रालय जल प्रबंधन के विषय में एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने में मदद करेगा। राज्यों को भी जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में अपने विभिन्न प्रयासों को समन्वित करना चाहिए।" प्रधानमंत्री ने कहा, ''उपलब्ध जल संसाधन का प्रबंधन अत्यंत जरूरी है। हमारा 2024 तक सभी घरों को पाइप के जरिये जल आपूर्ति का लक्ष्य है।" उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और जल स्तर बढ़ाने पर ध्यान देना है। उन्होंने जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में कई राज्यों के प्रयासों की सराहना की।
मोदी ने कहा, ''जल संरक्षण और प्रबंधन के लिये इमारतों के निर्माण से जुड़े प्रावधानों जैसे नियम और नियमन भी तैयार करने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जिला सिंचाई योजनाओं को सावधानीपूर्वक क्रियान्वित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने सूखे की स्थिति से निपटने के लिये प्रभावी कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ''प्रति बूंद, अधिक फसल की भावना को बढ़ाने की जरूरत है।"