वित्त मंत्रालय का प्रस्ताव, चेक बाउंस होने पर नहीं होगी जेल

 नई दिल्ली 

सरकार ने उद्योग एवं व्यवसाय जगत को संकट की इस घड़ी में कुछ और कानूनी उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाकर राहत पहुंचाने का प्रस्ताव किया है। सरकार ने चेक बाउंस होने, कर्ज की किस्त का भुगतान नहीं हो पाने सहित करीब 19 कानूनों के तहत होने वाले हल्के उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया है। 

सरकार ने चेक बाउंस से संबंधित परक्राम्य लिखत अधिनियम, बैंक की किस्त चुकाने से संबंधित सरफेईसी कानून, जीवन बीमा कानून, पेंशन कोष से जुड़े कानून पीएफआरडीए एक्ट, रिजर्व बैंक कानून, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, बैंकिंग नियमन अधिनियम और चिट फंड कानून सहित 19 कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के तहत होने वाले उल्लंघनों को (जेल की सजा वालेत्र अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया है। 

वित्त मंत्रालय ने इन 19 कानूनों से जुड़े प्रावधानों में विभिन्न उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाने को लेकर कदम उठाये हैं। मंत्रालय का कहना है कि इनसे कारोबार सुगमता बढ़ेगी और अदालती प्रणाली के साथ साथ जेलों के बढ़ते बोझ को कम करने में मदद मिलेगी। मंत्रालय ने अपने इस प्रस्ताव पर संबंध पक्षों से 23 जून तक अपने सुझाव और विचार सौंपने को कहा है। 

इसमें यह भी कहा गया है कि यह सरकार के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के उद्देश्य को हासिल करने में भी उल्लेखनीय कदम होगा।  मंत्रालय ने कहा है कि विभिन्न पक्षों से मिलने वाले सुझावों के आधार पर ही वित्तीय सेवा विभाग इस बारे में आगे निर्णय लेगा कि किस कानून के प्रावधान को अपराधिक श्रेणी में रहना देना चाहिये और किस कानून को कारोबार सुगमता बढ़ाये रखने के वास्ते उचित ढिंग से सुधार किया जाना चाहिये। 

कानून के तहत विभिन्न नियमों के उल्लंघन को अपराध की श्रेणी से हटाने के मामले में कुछ और कानून भी सुझाव और टिप्पणी के लिये पेश किए गए हैं। इनमें बीमा कानून, नाबार्ड कानून, राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, क्रेडिट इन्फार्मेशन कंपनीज (नियमन) कानून और फैक्टरिंग नियमन कानून को भी शामिल किया गया है। 

इसके साथ ही एक्चुअरीज एक्ट, जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) कानून, गैर-नियमन वाली जमा योजनाओं पर रोक लगाने संबंधी कानून, दि डीआईसीजीसी एक्ट और दि प्राइज चिट्स एण्ड मनी सकुर्लेशन स्कीम (बैनिंग) एक्ट भी इन कानूनों में शामिल किए गए हैं। इन कानूनों के तहत कई नियम ऐसे हैं, जिनमें छोटी आम प्रकृति के उल्लंघनों को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है। बहरहाल, सरकार इन सभी नियमों के उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बारे में संबंधी पक्षों से उनकी राय और सुझाव लेगी उन पर गौर करेगी और उसके बाद आगे का कदम उठाएगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने प्रधानमंत्री के 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की अलग अलग किस्तों में घोषणा करते हुये पांचवीं और अंतिम किस्त की घोषणा करते हुये कहा था कि मामूली तकनीकी किस्म के कानूनी उल्लंघनों अथवा प्रक्रियागत उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाया जाएगा ताकि कारोबारी और उद्यमियों के लिये व्यवसाय सुगमता को और बढ़ाया जा सकेगा। 

सरकार इससे पहले कंपनी कानून के तहत भी इस तरह के कदम उठा चुकी है। कंपनी कानून के तहत भी कई उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। वित्तीय सेवाओं के विभाग ने भी अब इसी तरह का कदम उठाते हुये विभिन्न कानूनों के तहत होने वाले मामूली किस्म के उल्लंघनों को आपराधिक उल्लंघन की श्रेणी से हटाने के लिये सूची तैयार की है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *