वाराणसी में जातीय गणित बना तो क्या कम हो जाएगा मोदी के जीत का अंतर?

 
नई दिल्ली 

लोकसभा चुनाव-2019 में वाराणसी चुनाव पर सबकी नजरें हैं. इस सीट पर जीत को लेकर जहां बीजेपी पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रही है वहीं विपक्षी दल जातीय गणित के सहारे खेल बिगाड़ने में लगे हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की जोरदार कैंपेनिंग और महागठबंधन के उम्मीदवार तेज बहादुर का नामांकन रद्द होना मोदी के जीत के फासले को कम कर सकता है. काशी से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय के लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी है. साथ ही यहां जातीय गणित भी बनता दिखाई दे रहा है.

इस सीट पर करीब 3.5 लाख वैश्य, 2.50 लाख ब्राह्मण, 3 लाख  मुस्लिम 1.50 भूमिहार, 1 लाख राजपूत, 2 लाख पटेल, 3.50 ओबीसी और  1.20 लाख दलित वोटर हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो इस बार मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ मूव कर चुका है. मुस्लिम वोटरों के बंटने का सबसे बड़ा कारण यह है कि महागठबंधन से कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है. तेज बहादुर के मैदान में होने से मुस्लिम वोट दोनों में शिफ्ट हो सकता था, लेकिन अब कांग्रेस की ओर एकतरफा  शिफ्ट होने की बात कही जा रही है. इसके अलावा भूमिहार वोटर भी बंट सकते हैं. राजनीतिक जानकारी की मानें तो अजय राय को लोकल होने का भी फायदा मिलता दिख रहा है. 2014 में मोदी लहर थी, जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ था. हालांकि अजय राय इस चुनाव में भी मोदी को सीधी टक्कर देते नहीं दिख रहे हैं, लेकिन उनका वोट प्रतिशत बढ़ेगा.

बता दें कि 1996 में पहली बार अजय राय बीजेपी के टिकट पर वाराणसी की कोइलसा विधासनभा सीट से चुनाव लड़े. उन्होंने 9 बार के सीपीआई विधायक उदल को 484 मतों के अंतर से हराया था. 2002 और 2007 का भी चुनाव अजय राय बीजेपी के टिकट पर इसी विधानसभा क्षेत्र से लड़े और जीते. 2009 में अजय राय वाराणसी लोकसभा सीट से बीजेपी का टिकट चाहते थे. पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना किया तो वह बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.

चुनाव से चार दिन पहले प्रियंका का रोड शो

काशी में सियासी पारा इस समय चरम पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रोड शो कर अपनी ताकत का अहसास कराया. प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय भी रोड शो का हिस्सा रहे. उनके रोड शो ने करीब 6 किमी की दूरी तय की थी. प्रियंका का रोडशो लंका से शुरू हुआ और रविदास गेट, अस्सी, भदैनी, सोनारपुरा होते हुए गोदौलिया तक पहुंचा.

सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर याचिका खारिज कर दी थी

चुनाव आयोग ने पिछले दिनों वाराणसी लोकसभा सीट से तेज बहादुर यादव के नामांकन को रद्द कर दिया था. पहले वह निर्दल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन बाद में उन्हें महागठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था. महागठबंधन का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद तेज बहादुर फिर से सुर्खियों में आ गए थे, लेकिन कुछ रोज बाद चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया. इसके खिलाफ बहादुर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने नामांकन रद्द करने के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी याचिका में कोई मैरिट नहीं है.

2014 में काशी के साथ वडोदरा से भी चुनाव लड़े थे मोदी

नरेंद्र मोदी ने 2014 में वाराणसी के अलावा गुजरात के वडोदरा से भी चुनाव लड़ा था और दोनों ही जगह से जीत हासिल की थी, लेकिन उन्होंने वाराणसी को अपने संसदीय क्षेत्र के रूप में चुना. 2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के बीच था. 2014 में 42 प्रत्याशियों ने अपनी चुनौती पेश की थी. इसमें 20 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय मैदान में थे. नरेंद्र मोदी ने आसान मुकाबले में केजरीवाल को 3,71,784 मतों के अंतर से हराया था. मोदी को कुल पड़े वोटों में 581,022 (56.4%) वोट हासिल हुए जबकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल के खाते में 2,09,238 (20.3%) वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय रहे जिनके खाते में महज 75,614 वोट ही पड़े.

वाराणसी सीट का जातीय आंकड़ा

वैश्य-3.5 लाख

ब्राह्मण-2.50 लाख

मुस्लिम-3 लाख

भूमिहार-1 लाख

राजपूत-1 लाख

पटेल-2 लाख

चौरसिया व अन्य-3.50 लाख

दलित-1.20 लाख

2014 में मोदी को मिले वोट-581,022

कितने वोट जीते थे नरेंद्र मोदी-3,71,784
दूसरे नंबर पर केजरीवाल थे-2,09,238

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