वाइस ऐडमिरल करमबीर सिंह नए नौसेना प्रमुख 

 नई दिल्ली 
ईस्टर्न नौसेना कमांड चीफ वाइस ऐडमिरल करमबीर सिंह अगले नौसेना प्रमुख होंगे। 31 मार्च को ऐडमिरल सुनील लांबा रिटायर हो रहे हैं और सिंह उनका स्थान लेंगे। वाइस ऐडमिरल सिंह पहले हेलिकॉप्टर पायलट होंगे जो नौसेना प्रमुख की कमान संभालने जा रहे हैं। हालांकि, सिंह की नियुक्ति नौसेना प्रमुख के तौर पर वरिष्ठता को दरकिनार कर हो रही है। अंडमान निकोबार के कमांड चीफ वाइस ऐडमिरल बिमल वर्मा वरिष्ठता क्रम में उनसे 5 माह सीनियर हैं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर सरकार ने करमबीर सिंह पर भरोसा दिखाया 

दूसरी बार सेना प्रमुख नियुक्त करने में वरिष्ठता की अनदेखी 
मोदी सरकार में यह दूसरी बार है जब सैन्य प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया। इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और पी एम हारिज के स्थान पर सरकार ने जनरल बिपिन रावत को सैन्य प्रमुख नियुक्त किया गया। 2016 में रावत की नियुक्ति सैन्य प्रमुख के तौर पर की गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने हमें बताया, 'सरकार ने फैसला किया है कि सिर्फ वरिष्ठता के आधार पर बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती प्रतिभा को भी ध्यान में रखा जाएगा।' 

नवंबर 2021 तक सिंह रहेंगे नौसेना प्रमुख 
वाइस ऐडमिरल सिंह एक अतिकुशल नौसेना अधिकारी हैं और उनके पास चेतक, कामोव-25 और कामोव-28 जैसे ऐंटी-सबमरीन युद्धक हेलिकॉप्टर उड़ाने का अनुभव है। 39 साल के अपने लंबे करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है और उन्हें आईएनएस विजयदुर्ग, आईएनएस राणा, आईएनएस दिल्ली की कमान संभालने का अनुभव है। मई में नौसेना प्रमुख की कमान संभालने के बाद वब नवंबर 2021 तक नौसेना प्रमुख रहेंगे। वह इससे पहले महाराष्ट्र और गुजरात के भी कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 

सरकार को सैन्य प्रमुख नियुक्ति का अधिकार 
हाल-फिलहाल में यह दूसरी बार है जब नौसेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता को दरकिनार किया गया। अप्रैल 2014 में ऐडमिरल रॉबिन धवन को वाइस ऐडमिरल शेखर सिन्हा की वरिष्ठता नजरअंदाज कर नौसेना प्रमुख बनाया गया था। ऐडमिरल डी के जोशी ने वॉरशिप ऐक्सिडेंट के बाद नैतिक आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद ऐडमिरल धवन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। आधिकारिक तौर पर सरकार को सैन्य प्रमुखों की नियुक्ति का अधिकार है। हालांकि, आम तौर पर नियुक्तियों में वरिष्ठता क्रम का ध्यान रखा जाता है। इससे पहले इंदिरा गांधी ने भी 1983 में वरिष्ठता की अनदेखी कर जनरल ए.एस वैद्य को आर्मी चीफ नियुक्त किया था। 

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