लोकसभा चुनाव 2019: गठबंधन के मामले में भाजपा विपक्ष के महागठबंधन से आगे

 नई दिल्ली
 लोकसभा चुनावों में एनडीए के रूप में सबसे बड़े राजनीतिक गठबंधन का फायदा भाजपा को मिल सकता है। इतना ही नहीं, चुनाव बाद भी उसे इसका लाभ मिलने की संभावना बनी रहेगी। भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए में कुल 38 छोटे-बड़े दल हैं, जिनमें से करीब बीस दल चुनाव मैदान में हैं। 
दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में 16 दल हैं। भाजपा का दावा है कि विपक्ष जिस महागठबंधन का राग अलाप रहा है, वह भाजपा व एनडीए के सामने कमजोर है। भाजपा ने एनडीए में देश के सत्रह राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से संबंध रखने वाले 38 दलों को जोड़ा है। भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के लिए करीब 110 सीटें भी छोड़ी हैं। कुछ सीटों पर निर्दलीय का समर्थन किया है। 

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया था और एनडीए के साथ वह सवा तीन सौ से ज्यादा सीटें जीत कर आई थी। भाजपा नेताओं का दावा इस बार पहले से भी ज्यादा सीटें जीतने का है। इसके पीछे विभिन्न राज्यों में भाजपा का मजबूत गठबंधन होने का तर्क दिया जा रहा है।  विपक्ष भाजपा को सत्ता में आने से रोकना तो चाहता है, लेकिन उसके गठबंधन अलग-अलग राज्यों के अनुसार हैं। 

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस शामिल नहीं है। हालांकि, कांग्रेस ने महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु में मजबूत गठबंधन बनाए हैं। कई राज्यों में उसका भाजपा से सीधा मुकाबला है।

विपरीत हालात में भी एनडीए को लाभ
भाजपा को एनडीए के बड़े कुनबे का लाभ विपरीत परिस्थितियों में भी मिलेगा। अगर उसे स्पष्ट बहुमत मिलने में कोई कमी रह भी गई तो एनडीए की संख्या प्रभावी रहेगी। दरअसल, किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर सबसे बड़े 
दल या सबसे बड़े चुनाव पूर्व गठबंधन को जीती सीटों की संख्या के आधार पर सरकार बनाने का न्योता दिया जाता है। 

आठ दलों का साथ मिला  
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के साथ भाजपा को तीन प्रमुख क्षेत्रीय दलों समर्थन प्राप्त है। केरल में आठ स्थानीय दल उसके साथ खड़े हैं और वे सब मिलकर कांग्रेस व माकपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। 

भाजपा के साथ खड़े कई छोटे-बड़े दल
पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि विपक्षी दल जिस तरह से महागठबंधन को प्रचारित कर रहे है, वह एनडीए के सामने कहीं टिकता ही नहीं है। भाजपा कई राज्यों में खुद ही इतनी मजबूत है कि उसे विपक्षी दलों के बेमेल तालमेल से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके अलावा उसके पास बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में मजबूत सहयोगी हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम, गोवा और झारंखड जैसे राज्यों में कई छोटे दल भाजपा के साथ जुड़े हैं, जिससे पार्टी मजबूत हुई है। 

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