लोकसभा चुनाव 2019: एनडीए ने उम्मीदवारों के जरिए की सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश

पटना
बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन की ओर से घोषित उम्मीदवारों में सामाजिक समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा गया है। बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी गठबंधन ने शनिवार को 39 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया था, जबकि खगड़िया सीट पर अभी कैंडिडेट तय नहीं हुआ है। एनडीए के पाले में जाते दिख रहे अगड़ी जाति के वोटरों को भी इस सूची में अहमियत दी गई है। खासतौर पर बीजेपी के समर्थक कहे जाने वाले अगड़ों में से 13 उम्मीदवार उतारे गए हैं। 

सवर्णों कैंडिडेट्स की बात करें तो इनमें 7 राजपूत हैं। बिहार की राजपूत बिरादरी पुराने दौर में जनता दल के साथ रही है। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह को मोतिहारी, आरके सिंह को आरा और राजीव प्रताप रूडी को सारण सीट से मैदान में उतारा है, ये तीनों ही नेता राजपूत बिरादरी से आते हैं। 

इनके अलावा भूमिहार बिरादरी से भी एनडीए ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं। बेगूसराय से बीजेपी के गिरिराज सिंह, मुंगेर से जेडीयू के राजीव रंजन सिंह और एलजेपी से नवादा में चंदन कुमार को उतारा गया है। सवर्ण बिरादरियों में बिहार में भूमिहारों का अच्छा खासा दबदबा माना जाता रहा है। 

हालांकि अल्पसंख्यक कैंडिडेट्स की बात करें तो कुल 39 उम्मीदवारों में से सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार जेडीयू ने घोषित किया है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के टिकट पर किशनगंज से महमूद अशरफ को उम्मीदवार बनाया गया है। दूसरी तरफ बीजेपी के बड़े मुस्लिम चेहरे शाहनवाज हुसैन की भागलपुर सीट को जेडीयू को दिया गया है। 

बीजेपी के 17 उम्मीदवारों के कोटे में दो ब्राह्मण चेहरों को भी जगह मिली है। बक्सर से केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को उतारा गया है, जबकि दरभंगा सीट से गोपालजी ठाकुर मैदान में हैं। कायस्थ समाज से आने वाले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब से उतारा गया है, जहां कायस्थ समाज के वोटर अच्छी संख्या में हैं। पटना साहिब सीट उनके मुकाबले कांग्रेस से शत्रुघ्न सिन्हा को उतारा जा सकता है, जिसके चलते यहां रोचक जंग हो सकती है। 

इसके अलावा एनडीए की सूची में ओबीसी बिरादरियों के 12 उम्मीदवारों को जगह मिली है। इनमें 5 यादव जाति से हैं, जिनका समर्थन मोटे तौर पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को मिलता रहा है। तीन यादवों को तो बीजेपी ने ही टिकट दिया है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय को उजियारपुर, रामकृपाल यादव को पाटलिपुत्र और अशोक यादव को मधुबनी सीट से उतारा गया है। 

एनडीए की लिस्ट में 6 दलितों को भी जगह दी गई है, जिनमें से 4 अकेले पासवान जाति से ही हैं। इनमें बड़े चेहरे रामविलास पासवान के बेटे चिराग और उनके भाई रामचंद्र पासवान और पशुपति कुमार पारस हैं। 

इसके अलावा अति पिछड़ा कहे जाने वाले धनुक, केवट, गंगोटा और चंद्रवंशी कहार बिरादरी के भी 7 उम्मीदवारों को जगह दी गई है। माना जा रहा है कि इसके जरिए एनडीए ने गैर-यादव ओबीसी वोटों को साधने की कोशिश की है। बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, 'एनडीए ने अपने टिकट बंटवारे में समाज के सभी वर्गों को समाहित किया है। इस चुनाव में एनडीए आरजेडी और महागठबंधन की जातिवादी राजनीति को ध्वस्त करने जा रहा है।' बिहार की 40 संसदीय सीटों पर 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक 7 चरणों में चुनाव हो रहा है। 

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