लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने सिंधिया को सौंपी ये बड़ी जिम्मेदारी

भोपाल
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बाद जब मुख्यमंत्री का चुनाव हो रहा था तो राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की नजर दिल्ली स्थिति राहुल गांधी के बंगले पर थी क्योंकि वहीं से यह फाइनल किया जाना था कि मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री दशकों से गांधी परिवार के साए की तरह बने रहे दिग्गज कमलनाथ होंगे या राहुल गांधी की यूथ बिग्रेड के सबसे दमदार चेहरों में से एक ज्योतिरादित्य सिंधिया होंगे.

हालांकि उस समय बाजी कमलनाथ के हाथ रही और वे मुख्यमंत्री बनाए गए. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा खूब रही कि युवाओं की बार बार बात करने वाली कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया गया. खुद सिंधिया भी हर उस सवाल का जवाब इस बात देते रहे कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाना ही उनका अंतिम मकसद था और वो पूरा हुआ.

लेकिन कहते हैं ना कि राजनीति में हर वक्त हासिल करना ही सबकुछ नहीं होता. कभी-कभी आप कुछ दूसरों के लिए अपनी जगह छोड़कर आगे की राह आसान कर लेते हैं. हुआ वही. उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हारकर खुद को बड़ा साबित कर दिया.

यह तो तय था कि सिंधिया को कांग्रेस संगठन में बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है, अब उसकी शुरुआत हो चुकी है. राहुल गांधी के सबसे विश्वासपात्र 'महाराज' को उस राज्य की जिम्मेदारी दे दी गई है जहां से होकर देश के सत्ता का गलियार जाता है. 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के पश्चिमी छोर पर बैठकर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी को मजबूत करेंगे. उन्हें पश्चिमी यूपी का प्रभार दिया गया है.

इसके अलावा प्रियंका गांधी ने भी सक्रिय राजनीति में एंट्री मार दी है. पार्टी के महासचिव अशोक गहलोत की तरफ से प्रेस रिलीज जारी की गई है. जिसमें लिखा है, 'कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश की महासचिव के तौर पर नियुक्त किया है. वह फरवरी के पहले सप्ताह में पद संभालेंगी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी यूपी की कमान सौंपी गई है.'

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