लोकसभा चुनाव: सज्जन, अपूर्वा समेत 20 हजार से ज्यादा कैदी नहीं दे सकेंगे वोट

नई दिल्ली 
सिख दंगा मामले में दोषी सज्जन कुमार, रोहित तिवारी के हत्या में आरोपी अपूर्वा समेत दिल्ली के करीब 20500 कैदी चुनाव में मतदान नहीं कर सकेंगे। संविधान में सजायाफ्ता कैदी और विचाराधीन कैदी को मतदान करने का अधिकार नहीं है। 

तिहाड़, मंडोली जेल और रोहिणी जेल में कुल 15800 कैदी बंद है। इनमें 9500 दिल्ली के और 450 विदेशी कैदी शामिल हैं। इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश के कैदी हैं। वहीं, हाल ही में दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट पर जिला अदालतों ने 11 हजार लोगों के नाम पर गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। यह दिल्ली के वह लोग हैं जो किसी न किसी अपराध में शामिल हैं और पुलिस को लगता है कि अगर यह बाहर रहें तो चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी खड़ी कर सकते हैं। इसलिए इन्हें जेल में रखना चाहिए। 
 

हाईकोर्ट में याचिका: कैदियों को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकते हैं। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर है। कानून के तीन छात्रों ने इस नियम को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने कैदियों के मताधिकार पर केंद्र सरकार,  निर्वाचन आयोग और तिहाड़ के महानिदेशक से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी। 

पहले भी कोशिश हुई: वर्ष 2016 में चुनाव आयोग ने कैदियों के लिए मतदान पर पाबंदी हटाने की संभावना तलाशने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया था। लेकिन, इस दिशा में अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। आयोग ने समिति के सदस्यों के नाम या रिपोर्ट का कभी खुलासा नहीं किया। सेक्शन 62(5) में नियम: भारतीय संविधान के तहत रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट की धार 62(5) के अंतर्गत जेल में बंद किसी भी कैदी को किसी भी चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है। 

यह भी जानें 
-देश की विभिन्न जेलों में 4 लाख से अधिक कैदी बंद हैं
-कनाडा, न्यूजीलैंड जैसे देशों में कैदियों को मतदान का हक दिया गया है। 

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