लोकसभा चुनाव: पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में छिपी है दिल्‍ली की सत्‍ता की चाबी

 लखनऊ 
यूपी की चुनावी जंग को जीतने के लिए सभी राजनीतिक दलों के योद्धा मैदान में उतर चुके हैं। गुरुवार को मेरठ में रैली कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जंग का आगाज कर दिया। माना जा रहा है कि इस बार के आम चुनाव में दिल्‍ली के राजसिंहासन की चाबी पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में छिपी हुई है, जहां त्रिकोणीय संघर्ष के आसार हैं। इसलिए योगी आदित्‍यनाथ, अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी ने अपना पूरा जोर पूर्वी यूपी पर लगा दिया है।  
 
आजमगढ़ से चुनाव लड़ने जा रहे अखिलेश यादव पहली बार इस इलाके से चुनावी मैदान में हैं, जहां लोकसभा की 35 सीटें आती हैं। बीजेपी ने वर्ष 2014 के लोकसभा और वर्ष 2017 के राज्‍य विधानसभा चुनाव में इस इलाके पर अपना कब्‍जा किया है। वर्ष 2014 के चुनाव में बीजेपी ने पूर्वी यूपी की 35 में से 32 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2014 के आम चुनाव में जब मोदी लहर में बीजेपी ने पूरे इलाके पर कब्‍जा कर लिया था तब अखिलेश के पिता और समाजवादी पार्टी के संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से 60 हजार वोटों से जीते थे। 

अखिलेश के खिलाफ निरहुआ को मिल सकता है टिकट 
बीजेपी ने अभी यहां से अपने उम्‍मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है लेकिन ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस सीट से भोजपुरी फिल्‍म स्‍टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को टिकट मिल सकता है। आजमगढ़ में एक बड़ी आबादी यादव और मुस्लिमों की है, इसलिए जातिगत गणित अखिलेश यादव के पक्ष में है। निरहुआ पड़ोस के गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं और बीजेपी को आशा है कि उनकी स्‍टार छव‍ि को भुनाकर आजमगढ़ में कमल खिलाया जा सकता है। 

  12 सीटों पर होगा महामुकाबला
लोकसभा चुनाव के लिए सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान जारी है। इस बार उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड की ऐसी कई सीटें हैं जहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। इन तीनों ही राज्यों में 2014 चुनाव में बीजेपी ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था लेकिन इस बार बिहार में महागठबंधन और यूपी में एसपी-बीएसपी-आरएलडी के गठबंधन की बदौलत इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर मिलने वाली है। एक नजर इन सीटों पर-

यूं तो अमेठी कांग्रेस का गढ़ है और गठबंधन भी यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतार रहा है, फिर भी अमेठी में इस बार मुकाबला कांटे का होगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी ने स्मृति इरानी को यहां से टिकट दिया है। स्मृति ने 2014 में भी इसी सीट से राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें मात भी मिली थी लेकिन उसके बाद से वह अमेठी में काफी सक्रिय रही हैं। दूसरी ओर राहुल यहां से 3 बार सांसद रह चुके हैं।

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) नेता अजित सिंह पहली बार मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यह सीट जाट बाहुल्य सीट है जो कि आरएलडी का वोटबैंक भी है। वहीं बीजेपी ने यहां से मौजूदा सांसद संजीव बालियान को टिकट दिया है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद 2014 में हुए चुनाव में ध्रुवीकरण और मोदी लहर में यहां से संजीव बालियान जीत गए थे लेकिन इस बार उनके सामने अजित सिंह के रूप में कड़ी चुनौती होगी। एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ अजित सिंह यहां से जाट, मुस्लिम और दलितों के समीकरण को लेकर अपनी जीत का ताना-बाना बुन रहे हैं।

आरएलडी का गढ़ माने जाने वाली पश्चिमी यूपी की बागपत सीट से पहली बार जयंत चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से उनके पिता अजित सिंह को बीजेपी के सत्यपाल सिंह से 2014 में मात मिली थी। ऐसे में जयंत के सामने इस सीट पर अपने परिवार का खोया हुआ विश्वास लौटाने की चुनौती होगी। बीजेपी ने इस बार भी मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह को ही टिकट दिया है।

यूपी की अमरोहा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां से मौजूदा बीजेपी सांसद कंवरसिंह तंवर को इस बार इस सीट दानिश अली से कड़ी चुनौती मिल सकती है। दानिश हाल ही में बीएसपी में शामिल हुए हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने यहां से राशिद अल्वी को टिकट दिया है। अमरोहा में 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आब

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