लॉकडाउन में ‘फरिश्ता’ बने किन्नर, मांगकर घर चलाने वालों ने ऐसे की मदद
रायपुर
जब आपके घर में खुशियां आती हैं तो वे आपके घरों में खुशियां मनाने आते हैं. नाचते हैं, गाते हैं और तालियां बजाते हैं. कई बार तंग आकर आप उन्हें थोड़ा बहुत कुछ देकर रफा-दफा कर देते हैं. ये कुछ के लिए आफत तो कुछ के लिए मजाक बन जाते हैं. लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच इस बार इन लोगों ने कुछ ऐसा काम किया है, जिससे आपकी सोच और समझ जरूर बदलेगी. हम बात कर रहे हैं किन्नर समुदाय की. राजधानी रायपुर (Raipur) के ये किन्नर आज तक लोगों की खुशी में तो शामिल होते ही थे, अब दुख में भी मददगार के तौर पर उनके साथ खड़े हैं.
पूरे देश में कोरोना वायरस की वजह से लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे मुश्किल वक्त में किन्नरों ने आगे आकर लोगों की मदद की है, जो एक मिसाल है. रायपुर के जोरा के भवानी नगर में मौजूद किन्नर भवन से आज तक जब भी कोई किन्नर बाहर आता था, तो वह इसलिए की घर-घर जाकर लोगों से कुछ मांग सके. लेकिन आज जब ये किन्नर बाहर निकले तो इनके हाथ में करीब डेढ़ क्विंटल चांवल था, 25 किलो दाल, आलू, तेल और बिस्किट्स (Biscuits) के पैकेट्स थे. इसके बाद इन्होंने बस्तियों में गरीब लोगों को ये सारी सामग्री बांटी.
जिनके दरवाजे हमेशा हमारे लिए सम्मान से खुले रहते थे, गरीब होकर भी जो हमें अपने दरवाजे से नहीं लौटाते थे, आज उन पर कितनी मुसीबत आई है. इसलिए इस विपदा में जिनके पास भी है, उन्हें सामने आना चाहिए और लोगों की मदद करनी चाहिए. हम लेकर तो नहीं जाएंगे ऊपर. सोच बदलने की जरूरत है.'
किन्नर ज्योति बाई से जब पूछा गया कि आप यूं चावल-दाल बचाकर रखने के बजाय बांट रही हैं, आप कहां से लाएंगी, वो हंसने लगी और कहती हैं कि हम और लोगों से मांग लेंगे. लेकिन हमारे आस-पास लोग भूखे पेट रहें तो चीजों को जमा कर हम अपनी आत्मा पर बोझ नहीं रख सकते. किन्नर मधु कहती हैं हम कौन सा अपना दे रहे हैं, ये उन्हीं का तो है. दान की चीज जरूरतमंदों के साथ बांट कर ही खाना चाहिए. वहीं, किन्नर शिल्पा का कहना है कि गरीबों के लिए ये बड़ा मुश्किल का समय है. हमने पूरी कोशिश की है कि नियमों के दायरे में सब करें, ताकि संक्रमण ना फैले.
वहीं जिन बस्तियों में किन्नरों ने सामान बांटा, वहां के लोगों का कहना है कि जिन बड़े सेठ-सेठानियों के घर पर हम काम करते हैं वो सामने ही नहीं आए. मुश्किल घड़ी में पूछा तक नहीं. अब किन्नर दीदी सभी को चावल, दाल, आटा बांट रही हैं. लोगों का आरोप है कि इलाके का पार्षद तक पूछने नहीं आया. लेकिन किन्नर आए, हमें इनसे सीखना चाहिए. लोगों के घरों में जाकर ताली बजाने वालों के लिए, उनके इस काम पर ताली तो बनती ही है.