लॉकडाउन के चलते कॉलेजों की स्थति लचर, विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप रुकी

भोपाल
प्रदेश में संचालित इंजीनियरिंग, फार्मेसी, एमबीए कॉलेज और पॉलीटेक्निक कॉलेजों की लॉकडाउन के चलते हालात बहुत ही लचर हो चले हैं। इसके चलते उन्हें अपना स्टाफ की सैलरी देने में काफी परेशानी आ रही है। इसके चलते उनकी सैलरी में काफी कटौती हो रही है। इसकी वजह विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप नहीं मिलना है।

प्रदेश के करीब एक लाख विद्यार्थी स्कॉलरशिप लेकर इंजीनियरिंग, एमबीए, फार्मेसी कॉलेजों के साथ पॉलीटेक्निक में पढ़ रहे हैं। शासन ने उन्हें स्कॉलरशिप आवंटित नहीं की है। इससे वह अपनी फीस कॉलेजों में जमा नहीं कर पाए हैं। इसके साथ जिन्हें स्कॉलरशिप मिल चुकी है। वे फीस देने के लिए लॉकडाउन के चलते कॉलेजों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
   
यहां तक कुछ विद्यार्थियों का कहना है कि जब उन्होंने कॉलेज में कक्षाएं ही अटेंड नहीं की है, तो फीस क्यों दें। इससे कॉलेजों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है। फीस नहीं आने के कारण कॉलेज संचालक भी अपने स्टाफ को सैलरी देने में आनाकानी कर रहे हैं। यहां तक कई कॉलेजों में पिछले दो माह में दस से बीस फीसदी सैलरी ही आवंटित की गई है। इससे उन्हें लॉकडाउन में परिवार का गुजरबसर करना काफी मुश्किल हो रहा है।

प्रदेश में कई कॉलेज ऐसे हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों ने बिना फीस लिए और सिर्फ स्कॉलरशिप के आधार पर प्रवेश दिए थे। उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि उन्होंने विद्यार्थियों को सिर्फ इसी शर्त पर प्रवेश दिए थे कि शासन से मिलने वाली स्कालरशिप उन्हें देंगे। शासन स्कॉलरशिप आवंटित करते। इसके पहले देशभर में लॉकडाउन लग गया, जिसके कारण स्कॉलरशिप आवंटित करने की प्रक्रिया रुकी हुई है।

बीई और फार्मेसी में प्रथम से चतुर्थ वर्ष तक वहीं एमबीए में प्रथम से द्वितीय वर्ष तथा पॉलीटेक्निक में प्रथम से तीसरे वर्ष में एससी-एसटी, ओबीसी आौर अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थी प्रवेशरत हैं। सभी एक लाख में कुछ विद्यार्थी कॉलेज नहीं पहुंचने के कारण आॅनलाइन कक्षाओं से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। आरजीपीवी और संबंधित विवि लॉकडाउन की तिथि को विद्यार्थियों की अटेंडेंस में शामिल करेंगे।

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