लापरवाही में 105 आवास सहायकों का अनुबंध रद्द

 पटना 
प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण के तहत लापरवाही बरतनी 105 ग्रामीण आवास सहायकों को महंगा पड़ा। उनका अनुबंध खत्म कर दिया गया है।  उनका अनुबंध संबंधित जिलों के डीडीसी के स्तर से रद्द किया गया। उन्हें जिला पदाधिकारी के पास पहली अपील दाखिल करने की छूट दी गई। वहां से मामला खारिज होने के बाद विभाग के प्रधान सचिव के पास अंतिम पुनरीक्षण अपील दाखिल करने पर अब तक मात्र दो मामलों कटिहार और नालंदा के आवास सहायकों का अनुबंध दोबारा बहाल करने का निर्णय लिया गया। 

क्यों लिया गया फैसला?
दरअसल राज्य में चालू  वित्तीय वर्ष में 10 लाख आठ हजार 564 आवास देने का लक्ष्य रखा गया है। इस ल‌क्षय के विरुद्ध मात्र 92 हजार 980 आवास बन सके हैं। निर्माण पूरा होने का प्रतिशत मात्र 12.34 है। इसके बाद जिला स्तर से छानबीन शुरू हुई। यह पाया गया कि कई सहायक अपनी डायरी पूर्ण नहीं रखते, जिसके कारण लाभुकों को प्रथम किस्त की राशि नहीं मिल रही। कई मामलों में द्वितीय एवं तृतीय किस्त के भुगतान के बाद भी आवास पूर्ण पूर्ण कराने में रुचि नहीं दिखाने, योजना की प्रतीक्षा सूची में अतिरिक्त नाम जोड़ने से संबंधित सूची जिला स्तरीय अपीलीय प्राधिकार के समक्ष नहीं भेजने, अयोग्य लाभुकों का नाम डिलीट नहीं करने आदि के कारण आवास सहायकों का अनुबंध खत्म कर दिया गया। 

दूसरी ओर आवास सहायक संघ का कहना है कि अधिकतर मामले बीडीओ के स्तर पर लंबित हैं। संघ के मुताबिक वर्ष 2013 में 8422 पदों पर आवास सहायकों की बहाली हुई पर मनमाने तरीकों से लिए गए फैसलों के कारण लगभग साढ़े तीन हजार सहायकों की नौकरी चली गई। अब मात्र पांच हजार आवास सहायक बचे हैं। इन्हें मात्र 11,300 मानदेय मिलता है। पिछले छह माह से भुगतान भी नहीं हुआ है। 

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