लहर बचाने की बेचैनी, 7 दिन में दूसरी बार पश्चिमी यूपी में PM नरेंद्र मोदी

 
नई दिल्ली   
     
लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार जोरों पर है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरोहा और ननौता में रैली करेंगे. पश्चिमी यूपी की उन सीटों पर पीएम मोदी की निगाहें लगी हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि 2014 में इन्हीं सीटों से हवा का रुख बदला था और बीजेपी को यूपी में 71 सीटें मिल गई थीं. लेकिन इस बार हालात थोड़े बदले से हैं. उपचुनाव में कैराना की सीट बीजेपी हार चुकी है.

सपा-बसपा का गठबंधन हो चुका है और गन्ने के भुगतान और पशुओं की बढ़ती समस्या के कारण किसानों में नाराजगी बताई जा रही है. जाट और मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण बीजेपी की राह में मुश्किलें खड़ी कर सकता है. मुजफ्फरनगर दंगे की वजह से पिछली बार जाट सपा से नाराज बताए जाते थे लेकिन इस बार हालात बदले से हैं और यहां से रालोद से अजीत सिंह लड़ रहे हैं जिन्हें सपा-बसपा का समर्थन हासिल है.  

28 मार्च को प्रधानमंत्री मेरठ में जनसभा करके प्रचार का आगाज कर चुके हैं. लेकिन 5 अप्रैल को अमरोहा और सहारनपुर के ननोता में रैली करने जा रहे हैं. उधर प्रियंका गांधी 8 अप्रैल को सहारनपुर, कैराना और बिजनौर में जनसभा करने जा रही हैं.
एक हफ्ते के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पश्चिमी यूपी में सभा करने से यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. वह उसी लहर को एकबार फिर हासिल करने की कोशिश कर रही है जो 2014 में चली थी. बीजेपी की कोशिश है कि इन 8 सीटों सहारनपुर, कैराना, मुज़फ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर में पार्टी अपनी बढ़त बरकरार रखे जिससे गठबंधन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

2014 के चुनाव प्रचार और 2019 के चुनाव प्रचार में एक अंतर यह भी देखने को मिल रहा है कि पिछली बार बीजेपी की रैलियां सबसे आखिर में होती थीं. लेकिन इस बार सपा-बसपा गठबंधन ने अपनी रैलियां बाद में रखी हैं. कांग्रेस चुनाव के 2-3 दिन पहले हवा बनाने का प्रयास करती दिख रही है.

28 मार्च को जब मोदी ने मेरठ की रैली में सपा-बसपा और राष्ट्रीय लोकदल को निशाना बनाते हुए इस संगठन को सराब (सपा-रालोद और बसपा) बताया था. मोदी ने यह भी कहा था कि यह सराब आपको बर्बाद कर देगी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि ये लोग सराब और शराब का अंतर नहीं जानते. अखिलेश यादव ने एक समर्थक के उस ट्वीट को लाइक किया था जिसमें देश को को नशा से छुटकारा दिलाने की बात की गई थी. नरेंद्र मोदी (न) और अमित शाह के (शा) को नशा बताया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण से चुनावी माहौल गर्म कर दिया गया था. लेकिन एक हफ्ते के भीतर वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरी बार जा रहे हैं.
राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि 7 अप्रैल को देवबंद में होने वाली सपा-बसपा और रालोद की रैली के पहले अपने वोटरों को लामबंद करने की कोशिश है. जिस ननोता में मोदी की रैली है वहां से देवबंद करीब 40 किलोमीटर दूर है. यह प्रशासनिक रूप से सहारनपुर जिले में आता है लेकिन लोकसभा क्षेत्र कैराना है जहां से सपा की तबस्सुम हसन मैदान में हैं. इस तरह यहां की जनसभा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहारनपुर और कैराना को वोटरों को साधने की कोशिश करेंगे जहां इस बार कड़ा मुकाबला है.

2014 के पहले कैराना में कभी बीजेपी को जीत नहीं मिली थी. लेकिन 2014 में हुकुम सिंह ने यहां से जीत हासिल करके इतिहास बद दिया. पलायन का मुद्दा उठाकर हुकुम सिंह चर्चा में आए थे. उनकी मौत के बाद बीजेपी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया जो रालोद की तबस्सुम हसन से हार गईं. तबस्सुम हसन को सपा ने उम्मीदवार बनाया था और बसपा ने बिना शर्त समर्थन दिया था.  इस बार बीजेपी ने प्रदीप चौधरी को कैराना से उम्मीदवार बनाया है.

सहारनपुर से राघव लखनपाल बीजेपी की तरफ से मैदान में है. जिनका मुकाबला कांग्रेस के इमरान मसूद और बसपा के हाजी फजलुर्रहमान से माना जा रहा है. यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इस मुकाबले में जीत हासिल करने के लिए मोदी की 7 दिन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरी रैली होने जा रही है. इससे गन्ना किसानों की नाराजगी कितनी दूर होगी. सपा-बसपा को वोट प्रतिशत में कितनी सेंध लग पाएगी यह तो 23 मई को ही पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि इन सीटों पर बीजेपी को अपनी लहर अपनी सीटें बचाने की चुनौती है वहीं सपा-बसपा और कांग्रेस को इन सीटों में से विजय मिलती है तो यह उनके लिए प्लस पॉइंट होगा.  

पहले चरण की सीटों का गणित

पहले चरण में पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होना है. इसमें मुजफ्फरनगर और बागपत में गठबंधन की तरफ से रालोद मैदान में है. सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ और गौतमबुद्द नगर में बसपा लड़ रही है. जबकि गाजियाबाद और कैराना में समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार उतारे हैं. कैराना से तबस्सुम हसन को सपा ने टिकट दिया है जो उपचुनाव में रालोद के टिकट पर सांसद चुनी गई हैं. 

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