लखनऊ में राजनाथ सिंह के खिलाफ किसे उतारें? असमंजस में पड़ा विपक्ष

लखनऊ
लखनऊ लोकसभा सीट पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह आज नामांकन दाखिल कर रहे हैं। कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सीट रही लखनऊ से राजनाथ सिंह सांसद हैं। मंगलवार को पर्चा भरने से पहले राजनाथ सिंह ने शहर के मशहूर हनुमान सेतु स्थित मंदिर जाकर दर्शन किया। इसके साथ ही राजनाथ एक रोड शो के जरिए नामांकन से पहले शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि लखनऊ सीट पर अब तक विपक्ष प्रत्याशी तय नहीं कर सका है।

इस लोकसभा चुनाव में राजनाथ के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारने का दम भरने वाला गठबंधन और कांग्रेस, फिलहाल दोनों ही असमंजस में हैं। नतीजा यह है कि प्रत्याशी अब तक केवल चर्चाओं में हैं। दो दशक से ज्यादा वक्त से बीजेपी का गढ़ बन चुकी इस सीट पर राजनाथ के खिलाफ कोई दिग्गज उतरने को तैयार नहीं है। 2014 के चुनाव में जहां कांग्रेस ने इस सीट से रीता बहुगुणा जोशी को उतारा था, वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से तत्कालीन राज्यमंत्री और अखिलेश यादव के करीबी अभिषेक मिश्रा को टिकट दिया गया था। इस बार कांग्रेस की ओर से जितिन प्रसाद को उतारने की चर्चा थी लेकिन बाद में कयासों पर ब्रेक लग गया।

कांग्रेस की उलझन
1984 तक कांग्रेस का गढ़ रहे लखनऊ पर गांधी परिवार की निगाह अरसे से लगी हुई है। इसी वजह से पार्टी अपना सबसे बड़ा दांव पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के रूप में लगाना चाह रही थी। कांग्रेस को उम्मीद थी कि युवा ब्राह्मण और साफ छवि के जितिन लखनऊ के चुनाव को ब्राह्मण बनाम क्षत्रिय में बदल देंगे। इसके अलावा गठबंधन ने भी जितिन को समर्थन दे दिया तो राजनाथ के लिए मुकाबला कड़ा हो जाएगा। पर जितिन ने इनकार कर दिया।

इसके बाद कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णन और अखिल भारतीय हिंदू महासभा के चक्रपाणि महाराज के नामों पर भी मंथन शुरू किया। दाऊद इब्राहिम की कार जलाने से चर्चा में आए भगवा वस्त्रधारी चक्रपाणि महाराज के हिंदूवादी होने से उनके नाम पर कांग्रेस मन बना रही थी, पर अब तक उन पर फैसला नहीं हो पाया है। बताया जाता है कि दोनों नेताओं को भी यह डर है कि कम वक्त में कैसे वह अपनी तैयारी कर पाएंगे। हास्य अभिनेता राजपाल यादव का नाम भी चर्चा तक सीमित रहा। अब पार्टी की निगाहें स्थानीय नेताओं पर हैं।

 

पूनम बन पाएंगी संयुक्त प्रत्याशी!
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो लखनऊ में कायस्थ मतदाताओं की संख्या तीन से साढ़े तीन लाख के आसपास है। इसके अलावा सवा लाख के करीब सिंधी वोटर हैं। इसी वजह से एसपी के कुछ नेताओं ने अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को लखनऊ से लड़ाने का सुझाव दिया था। पूनम खुद सिंधी हैं। एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और शत्रुघ्न सिन्हा की मुलाकात में पूनम के नाम पर चर्चा भी हुई।

शत्रुघ्न की शर्त थी कि कांग्रेस भी पूनम के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा न करे। शत्रुघ्न अब कांग्रेस में हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह कांग्रेस को मना लेंगे। लेकिन एसपी अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई है। एसपी को डर है कि अगर आखिरी वक्त में कांग्रेस तैयार न हुई तो उसकी किरकिरी हो सकती है। दूसरा डर यह था कि शत्रुघ्न एक वक्त राजनाथ के करीबी थे और खुद पटना साहिब से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में अपने चुनाव की वजह से शत्रुघ्न का यहां वक्त दे पाना भी मुमकिन नहीं होगा।

54% वोट मिले थे 2014 में
पिछले लोकसभा चुनाव में राजनाथ को 54.28 फीसदी वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहीं कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को 27.89 फीसदी वोट मिले थे। बीएसपी के नकुल दुबे 6.23 फीसदी मतों के साथ तीसरे नंबर पर थे, जबकि 5.49 फीसदी वोट पाकर एसपी के अभिषेक मिश्र चौथे नंबर पर थे। अब अगर इन तीनों के मत प्रतिशत को जोड़ भी लिया जाए तो यह केवल 39.61 फीसदी बैठता है, जो राजनाथ को मिले वोटों से काफी कम है। ऐसे में साझा उम्मीदवार का गणित भी बैठता नजर नहीं आ रहा है।

 

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