रोजाना 600 भूखों को अन्न, अनोखा है रोटी बैंक

अहमदाबाद
अक्सर ऐसा होता है जब हमारे घरों में रोटियां बच जाती हैं तो उन्हें फेंकना पड़ता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने यहां ज्यादा रोटियां बनाकर भूखे लोगों का पेट भर रहे हैं। गुजरात में अहमदाबाद के नरनपुरा में करीब 12 से ज्यादा सोसायटियों के लोगों ने मिलकर शहर के भूखे लोगों की भूख मिटाने की ठानी है। हर घर से करीब 2 से 3 रोटियां आती हैं। इस तरह रोजाना यह सोसायटियां मिलकर करीब 4 हजार से ज्यादा रोटियां एक फूड बैंक को देती हैं। यह बैंक रोजाना करीब 600 लोगों को दाल-रोटी बांटता है।

इस नवरात्रि शुरू हुई पहल
इस साल अक्टूबर में नवरात्रि के मौके पर सभी सोसायटियों ने मिलकर यह पहल शुरू की। हर साल नवरात्रि क मौके पर गरबा का आयोजन किया जाता है। इस साल एक बुजुर्ग व्यक्ति ने लोगों से संपर्क किया और पूछा कि क्या सभी सोसायटी मिलकर उनके ट्रस्ट के लिए रोटियां तैयार कर सकती हैं। लोगों ने इस बारे में सोचा और रोजाना करीब 300 रोटियां भेजने के लिए तैयार हो गए।

शुभलक्ष्मी टॉवर में रहनी वालीं सोनिया मोदी बताती हैं, 'जब हमें इस पहल के बारे में पता चला तो हम तुरंत इसके लिए तैयार हो गए।' सोसायटी के कॉमन एरिया में लोग रोजाना 1 बजे से पहले रोटियां रख जाते हैं। हर सोसाइटी से रोजाना करीब 500 रोटियां आती हैं।

कई जगहों पर बांटा जाता है खाना
लीला बा ट्रस्ट को चलाने वाले दिलीप ने इस पहल की शुरुआत की। ट्रस्ट रोजाना शाम 3 से छह के बीच अलग-अलग जगह जाकर गुजराती दाल और रोटी जरूरतमंदों को खिलाता है। दिलीप बताते हैं, 'हमें रोजाना 600 लोग मिल जाते हैं। दाल बनाना तो आसान होता है लेकिन रोटियां बनाने में काफी लोग लगते हैं। मैंने सोचा कि हर किसी के यहां एक दो रोटियां ज्यादा बन जाती हैं। क्यों न हम इसका इस्तेमाल गरीब लोगों को खिलाने में करें। मैं लोगों के पास गया और अपने ट्रस्ट के काम के बारे में बताया।'

वह कहते हैं कि आज रोजाना हर सोसायटी के पास जाते हैं। उन्हें रोटियां रखने के लिए बर्तन दिए हुए हैं। इसके अलावा करीब 50 वरिष्ठ नागरिकों को टिफिन सर्विस दी जाती है। दिलीप का कहना है कि जो भी व्यक्ति अपना खाना पकाने में कमजोर है और उनके इलाके के 20 किलोमीटर के दायरे में रहता है वह उन्हें इस बारे में बता सकता है। यह टिफिन सर्विस भी एकदम फ्री दी जाती है।

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