कभी न करें अन्न का तिरस्कार, भोजन से पहले करें मां अन्नपूर्णा को याद

अन्न हमारे जीवन के लिए जितना महत्वपूर्ण हैं उतना ही जरूरी है अन्न को पकाने और इसके रखने का स्थान। यह हमारे स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा है। वास्तु शास्त्र में अन्न और रसोईघर को लेकर कुछ उपाय बताए गए हैं, इन्हें अपनाकर हम बेहतर स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

हमेशा हाथ, पैर और मुंह धोने के पश्चात ही भोजन करें। रसोईघर में कभी शीशे नहीं होना चाहिए। न ही रसोईघर में नीला रंग कराएं। रसोईघर को हमेशा स्वच्छ रखें। रात में सोने से पहले रसोईघर को स्वच्छ कर लें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास रहता है। खाना बनाते समय अगर भोजन बनाने में रुचि नहीं है तो परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब रहता है। भोजन बनाने वाले व्यक्ति को स्नान करके ही भोजन बनाना चाहिए और मन शांत रखकर परिवार के स्वस्थ रहने का विचार करना चाहिए। भोजन करने से पूर्व अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता का स्मरण कर उन्हें धन्यवाद दें। भोजन का कभी तिरस्कार न करें। बिस्तर पर बैठकर कभी भोजन न करें। घर की रसोई में कभी भी अनुपयोगी चीजें न रखें। भंडार गृह में डिब्बे या कनस्तर खाली न रहने दें। रसोई में गैस या चूल्हे को इस प्रकार रखें कि खाना बनाते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। घर के मुख्य द्वार के सामने रसोईघर न बनवाएं। रसोईघर में बने भोजन में से गाय, कुत्ते, चींटी और पक्षियों को भोजन खिलाएं। प्रतिदिन पक्षियों को भोजन देने से पितृ तृप्त होते हैं। चींटियों को भोजन देने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाने से संकट दूर रहते हैं। गाय को प्रतिदिन रोटी खिलाने से आर्थिक संकट दूर होते हैं।

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