रेल मंडल: भोपाल मंडल के 1500 से अधिक कर्मचारियों को अनिवार्य सेवा मुक्ति!

भोपाल
रेलवे अपने खर्चे कम करने और कर्मचारियों की छंटनी पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसके लिए रेलवे के एक आदेश से भोपाल रेल मंडल के सीनियर रेल कर्मचारियों में हड़कंप का माहौल बन गया है। इस योजना के तहत भोपाल मंडल के 1500 से अधिक कर्मचारियों को अनिवार्य सेवा मुक्ति दी जा सकती है।

रेलवे की अब उन कामचौर कर्मचारियों पर नजर है जो बिना काम के वेतन लेने के आदि हो गए हैं। ये वो कर्मचारी हैं जो किसी न किसी सेटिंग से नौकरी कर रहे हैं और आए दिन अवकाश पर लेना भी इनकी आदत में शुमार है। इनमें ऐसे कर्मचारियों की संख्या अधिक है जो हर महीने निजी डॉक्टर के सटिफिकेट से तीन दिन की छुट्टी के अलावा भी तमाम अवकाश लिया करते हैं। ऐसे कर्मचारियों की सूची बनाई जा रही है जो काम पेंडिंग रखने के आदि है।

दरअसल रेलवे का एक आदेश कर्मचारियों में खौफ की वजह बन रहा है। इस आदेश के तहन तीस साल पूरी कर चुके या पचपन वर्ष की उम्र पूरी कर चुके कर्मचारियों का क्राइटेरिया बनाया गया है। इस क्राइटेरिया वाले जो कर्मचारी सिर्फ नाम को नौकरी करते हैं या अपना व्यवहार आदि ठीक नहीं रखते हैं। अथवा इस सर्विस पीरियड में दंडित किये गए हों उनके नाम की सूची मांगी जा रही है। ऐसे कर्मचारियों की समीक्षा रिपोर्ट ठीक नहीं होने पर उन्हें अनिवार्य सेवानिव्रत किया जा सकता है।

दरअसल रेलवे अब शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनों का निजीकरण करने जा रहा है। वहीं प्रोडक्शन यूनिट्स का काम भी ठेकेदारों को दिया जा जा रहा है। ठेके पर काम देना रेलवे को सस्ता पड़ता है। ऐसे में एक तो काम के बाद ठेकेदार को पैसा देना होता है वहीं ठेका कर्मचारी को बीमा, इलाज आदि का पैसा भी नहीं देना होता। इसी के लिए रेलवे में तीस पचपन के फंडे पे काम चल रहा है। वहीं दूसरी ओर इस वर्ष रेलवे एक लाख खाली पदों को भरने वाला है। रेलवे में 18 जोन है। यदि एक जोन से 4 हजार कर्मचारी भी निकाले गए तो करीब 72 हजार कर्मचारियों की छंटनी हो जाएगी। रेलवे की दूसरी योजना बूढे अमले के बजाए जवान कर्मचारियों को जोड़ना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *