रेलवे ने कहा, श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए डेस्टिनेशन स्टेट से अनुमति लेने की जरूरत नहीं
नई दिल्ली
रेलवे ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए डेस्टिनेशन स्टेट से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। गृह मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों के उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के वास्ते रेलवे के लिए एक मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी किया है। इसके बाद अब गंतव्य राज्यों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं रह गई है।
रेलवे के प्रवक्ता राजेश बाजपेई ने कहा, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए टर्मिनेटिंग स्टेट की अनुमति जरूरी नहीं है। नए एसओपी के बाद स्थिति यह है कि जहां ट्रेन का सफर खत्म होगा, उस राज्य की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है।
गोयल के बयान से विवाद
इससे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को मंजूरी देने में कोताही बरत रहे हैं। उनके इस बयान पर काफी होहल्ला हुआ था क्योंकि ये तीनों गैर-भाजपा शासित राज्य हैं। रेलवे प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 1 मई से 1565 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर चुका है। इन ट्रेनों से 20 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया है।
गोयल ने कुछ दिन पहले ट्वीट किया था, ‘रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए 1200 ट्रेनें उपलब्ध कराई हैं लेकिन पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे कई राज्यों की सरकारें मजदूरों को घर भेजने के लिए अनुमति नहीं दे रही हैं। पश्चिम बंगाल के गृह मंत्री ने पत्र लिखने के बाद भी 9 मई तक सिर्फ दो गाड़ियां लीं। हमें बताया गया कि 8 गाड़ियों की अनुमति 8 मई को दी गई है लेकिन आज तक भी पूरी 8 गाड़ियां नहीं लीं।’
शाह-ममता में भी टकराव
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली ट्रेनों को राज्य पहुंचने की अनुमति नहीं दे रही है जिससे श्रमिकों के लिए और दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। शाह के इस पत्र पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से उनके भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने शाह पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था। यही नहीं उन्होंने शाह से माफी मांगने तक की बात कर दी।