रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड तथा ब्रिटिश गैस को अपनी संपत्तियों का ब्योरा देने का निर्देश

नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) तथा ब्रिटिश गैस को उनकी संपत्तियों का ब्योरा देने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार ने कोर्ट में याचिका दायर कर रिलायंस द्वारा दिग्गज तेल कंपनी सऊदी अरामको को अपनी 20% हिस्सेदारी बेचने सहित अन्य संपत्तियों की बिक्री रोकने की मांग की है, जिसके बाद हाई कोर्ट का यह निर्देश सामने आया है।

अरामको डील पर रोक की मांगकेंद्र सरकार ने सितंबर में दायर अपनी याचिका में रिलायंस द्वारा अरामको को हिस्सेदारी बेचने पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा था कि दोनों कंपनियां पन्ना-मुक्ता तथा ताप्ती (PMT) उत्पादन साझेदारी अनुबंध के तहत 4.5 अरब डॉलर का आर्बिट्रल अवॉर्ड का भुगतान करने में नाकाम रही हैं। साल 1994 में हुआ पीएमटी कॉन्ट्रैक्ट शनिवार को समाप्त हो गया। मामले में तर्क देते हुए सरकार ने कोर्ट से मांग की कि वह RIL और ब्रिटिश गैस को 4.5 अरब डॉलर का आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का भुगतान करने का निर्देश दे।

छह फरवरी को अगली सुनवाई
आरआईएल के निदेशक को कंपनी की संपत्तियों का ब्योरा देने के लिए एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए उच्च न्यायालय की एक वाणिज्यिक पीठ ने कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई छह फरवरी को करेगी। टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा किए गए सवालों का आरआईएल ने शुक्रवार रात तक कोई जवाब नहीं दिया। टीओआई ने इसके लिए कंपनी को कॉल किया और टेक्स्ट मेसेज भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

2.88 लाख करोड़ रुपये का कर्ज
केंद्र सरकार ने आरआईएल द्वारा सऊदी अरामको को 20 फीसदी हिस्सेदारी की प्रस्तावित बिक्री सहित कई समाचारपत्रों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए हाईकोर्ट से कहा, 'आरआईएल पर 2.88 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम कर्ज है। कंपनी अपने कर्जों को खत्म करने के लिए अपनी चल-अचल संपत्तियों की बिक्री कर रही है।' सरकार ने कहा कि भविष्य में भी अपनी संपत्तियों की बिक्री कर सकती है और तब तक आर्बिट्रल अवॉर्ड के भुगतान के लिए कंपनी के पास कुछ नहीं बचेगा। केंद्र ने कहा कि उसे आरआईएल के बिजनस प्लान की कोई जानकारी नहीं है और न ही उसपर उसका कोई नियंत्रण है।

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