राहुल गांधी पर बीजेपी का वार, ऐक्ट पर 10 लाइन ही बोलकर दिखाएं: नागरिकता संशोधन कानून

 
इंदौर

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर राहुल गांधी के पीएम नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह पर हमले का बीजेपी ने जवाब दिया है। बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल पर पलटवार करते हुए कहा, 'वह इस कानून के प्रावधानों पर केवल 10 पंक्तियां बोलकर दिखाएं।' इंदौर में ऐक्ट के समर्थन में आयोजित बीजेपी की रैली में बोलते हुए नड्डा ने कहा, 'मैं राहुल से कहना चाहता हूं कि वह नागरिकता संशोधन कानून के प्रावधानों पर केवल 10 लाइन बोल दें। वह बस दो लाइन उन प्रावधानों पर भी बोलकर दिखाएं जिनसे तथाकथित तौर पर देश का नुकसान हो रहा है।'

इससे पहले राहुल गांधी ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह देश को बांटने का काम कर रहे हैं और नफरत के पीछे छिप रहे हैं। युवाओं से अपील करते हुए राहुल ने कहा था कि ऐसी ताकतों को खत्म करने का एक ही तरीका है कि हर भारतीय में प्रेम पैदा किया जाए। राहुल ने ट्वीट किया था, 'भारत के प्रिय युवाओं, मोदी और शाह ने आपका भविष्य बर्बाद कर दिया है। वह नौकरियों की कमी और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने पर आपके गुस्से का सामना नहीं कर सकते। इसलिए वे नफरत के पीछे छिप रहे हैं।'

उनकी इसी टिप्पणी पर पलटवार करते हुए नड्डा ने कहा, 'यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश का नेतृत्व करने आए लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के बारे में बुनियादी बातें तक पता नहीं हैं।' नड्डा ने कहा, 'देश में पिछले एक हफ्ते के दौरान नागरिकता कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहंचा है। लेकिन क्या राहुल ने इस नुकसान की निंदा करते हुए कोई बयान दिया है?'

हिंसा के खिलाफ एक भी शब्द क्यों नहीं बोला?
उन्होंने कहा, 'कांग्रेस और बीजेपी के बीच विचारधारा की लड़ाई हो सकती है। आपकी (राहुल की) सीमित बुद्धि के कारण किसी विषय पर आपके विचार हमसे अलग हो सकते हैं। लेकिन यह कहां तक उचित है कि आप हिंसा पर एक भी शब्द नहीं बोलें?' नड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून पर जनता को गुमराह करते हुए एक वर्ग विशेष के लोगों को उकसा रही है और 'वोट बैंक को देश से ऊपर रखकर हिंसा की आग पर राजनीति की रोटियां सेंक रही है।'

क्या राहुल ने विभाजन का इतिहास पढ़ा है?
उन्होंने कहा, 'राहुल इस सवाल का भी जवाब दें कि क्या उन्होंने वर्ष 1947 में हुए भारत के विभाजन का इतिहास पढ़ा है? उनके वक्तव्यों से तो कतई नहीं लगता कि उनके दिल में देश के उस बंटवारे का कोई दर्द है जब बर्बर नरसंहार के बीच लाखों लोगों को अपनी जान की सलामती और स्त्रियों को अपनी आबरू बचाने के लिये मातृभूमि को अचानक छोड़ना पड़ा था।'

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