‘राहुल गांधी को अंतरराष्ट्रीय मामलों की समझ नहीं’

नई दिल्ली
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों को निहत्था भेजे जाने के दावे पर घिरते नजर आ रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनके इस दावे को खारिज करते हुए सही तथ्य से रू-ब-रू कराया तो गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राहुल को सियासी समझ में शून्य करार दे दिया।

भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक हैं राहुल: रेड्डी
रेड्डी ने कांग्रेस सांसद के बयानों पर पूछे गए सवाल पर कहा, 'राहुल गांधी को स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की समझ नहीं है, इसलिए उनके सवालों का जवाब देने की जरूरत नहीं है।' गृह राज्य मंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि राहुल भारतीय राजनीति में कोई मायने ही नहीं रखते हैं। रेड्डी ने कहा, 'वो बिल्कुल नाकामयाब हैं और भारतीय राजनीति में उनकी कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है।'

राहुल का दावा- गलवान में निहत्थे भेज दिए थे सैनिक
ध्यान रहे कि राहुल गांधी ने वीडियो मेसेज जारी कर सरकार से सवाल किया है कि सैनिकों को गलवान में बिना हथियार के क्यों भेजा गया? इस पर विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि बॉर्डर ड्यूटी में कोई भी सैनिक निहत्था नहीं रहता है। जयशंकर ने बताया कि विभिन्न समझौतों के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गोलीबारी नहीं करने की परंपरा रही है। चूंकि भारत और भारतीय सेना अंतरराष्ट्रीय समझौतों और नियमों का पूरी श्रद्धा से पालन करते हैं, इसलिए सैनिकों ने पास में हथियार रहते हुए भी फायरिंग नहीं की।

चीनी सैनिकों की कायरना हरकत
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पर 15 जून को चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर अचानक हमला कर दिया। चीनी सैनिकों की इस कायराना हरकत में हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए। कुछ सैनिकों के गुमशुदा होने की खबरें भी आईं, लेकिन गुरुवार को आर्मी ने स्पष्ट कर दिया कि अब भारत का कोई भी सैनिक लापता नहीं है। बहरहाल, 15 जून की इस खूनी झड़प के बाद भी भारत और चीन के बीच बातचीत का दौर जारी है। गुरुवार को मेजर जनरल लेवल की मीटिंग में दोनों पक्षों ने विवाद निपटाने के उपायों पर छह घंटे तक चर्चा की।

1962 में हिमालयी क्षेत्र में जब धोखे से चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था तब भारतीय सेना इस ऊंचाई वाले इलाके में युद्ध लड़ने के लिए तैयार नहीं थी। एक महीने तक चले मुकाबले में चीनी सेना ने अक्साई चिन पर कब्जा कर युद्धविराम की घोषणा कर दी थी। चीन ने दावा किया कि इस युद्ध में उसके 700 सैनिक मारे गए, जबकि भारतीय सेना के हजार से ज्यादा सैनिक शहीद हुए।

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