राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नए नायक स्थापित करने की तैयारी में ?

 
नई दिल्ली

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी की जन्मशताब्दी मनाने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख की जन्मशताब्दी मनाई गई। जनसंघ नेता उपाध्याय और नानाजी की जन्मशताब्दी केंद्र में काबिज मोदी सरकार ने भी मनाई थी। दत्तोपंत ठेगड़ी की जन्मशताब्दी को लेकर संघ फिलहाल अकेले ही तैयारी कर रहा है।

नए नायकों को पेश करने की तैयारी में जुटा संघ
संघ अपने नेताओं की जन्मशताब्दी व्यापक तरीके से मनाकर देश को नए आइकन देने की तैयारी में भी है। संघ और बीजेपी के लोग हमेशा यह आरोप लगाते रहे हैं कि अब तक देश में एक ही विचारधारा से जुड़े नेताओं के बारे में ही लोगों को बताया जाता रहा। संघ का आरोप रहा है कि एक खास विचारधारा के ही नायक के तौर पर स्थापित किया गया। संघ और बीजेपी ने पहले दीनदयाल और नानाजी के जनशताब्दी मनाई। जिसके कार्यक्रम पूरे एक साल तक चलते रहे। सरदार पटेल को भी बीजेपी ने नए सिरे से अपनी विचारधारा से जोड़ते हुए प्रमोट किया। अब संघ अपने प्रचारक दत्तोपंत ठेगड़ी की जन्मशताब्दी मनाने की तैयारी में जुटा है।

10 नवंबर से शुरू होगा साल भर के लिए आयोजन
दत्तोपंत ठेगड़ी की जन्मशताब्दी के कार्यक्रम 10 नवंबर से शुरू होगी और अगले साल 10 नवंबर तक चलेंगे। संघ के एक नेता के मुताबिक इसकी शुरूआत नागपुर में संघ मुख्यालय से होगी जहां संघ प्रमुख मोहन भागवत इसकी शुरुआत करेंगे। अगले साल 10 नवंबर को दिल्ली में कार्यक्रमों का समापन होगा। जन्मशताब्दी कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर और प्रांत स्तर पर समितियां बनाई गई हैं। संघ नेता के मुताबिक कार्यक्रमों के जरिए बताया जाएगा कि दत्तोपंत ठेगड़ी की यह सोच थी कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचे, सबको रोजगार मिले, सबको सुविधाएं मिलें।

जीडीपी पर भी होगी बात
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि 30 सालों से विकास की सोच बस जीडीपी बढ़ाने पर रही न कि आम आदमी को कितना लाभ मिल रहा है इस पर रही। गैरबराबरी भी बढ़ रही है और 30 सालों में बेरोजगारी भी कम नहीं हुई है। जबकि दत्तोपंत ठेगड़ी का जो विकास का मॉडल था वह महज जीडीपी पर आधारित नहीं बल्कि सबका भला, सबको रोजगार का था। महाजन ने कहा कि जन्मशताब्दी कार्यक्रम के जरिए हम उनकी सोच और विकास के मॉडल को सामने रखेंगे। यह एक वैचारिक प्रबोधन होगा।
 

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