राष्ट्रीय खेल 2021: साख पर बट्टा न लगा दें अधूरी तैयारियां, पढ़िए खास रिपोर्ट

देहरादून
उत्तराखंड में 2021 में राष्ट्रीय खेल प्रस्तावित हैं। यह प्रदेश के पास खुद को साबित करने का एक शानदार मौका है। इस आयोजन के लिए उत्तराखंड ने एड़ी-चोटी का जोर भी लगाया था। अब आयोजन को लेकर सफलता मिली, लेकिन इंडोर साइकिलिंग जैसे महत्वपूर्ण खेल के लिए प्रदेश तैयार नहीं है।

पर्याप्त समय मिलने के बावजूद प्रदेश में साइकिलिंग के लिए वेलोड्रम (इंडोर साइकिलिंग ट्रैक) नहीं बनाया जा सका है। अब समय नजदीक आता देख विभाग आयोजन कराने से हाथ खड़े करता नजर आ रहा है। यहां तक कि विभाग भारतीय ओलंपिक संघ से साइकिलिंग को हटाने का आग्रह करने पर भी विचार कर रहा है। हालांकि सहमति नहीं मिलने पर आयोजन दिल्ली में कराने की योजना है। ऐसे में यह प्रदेश के लिए शर्मिंदगी का कारण बनना तय है।

साइकिलिंग प्रेमियों के लिए झटका
दरअसल, नेशनल गेम्स में इंडोर साइकिलिंग व रोड साइकिलिंग होनी है। लेकिन प्रदेश में इंडोर साइकिलिंग के लिए वेलोड्रम नहीं है। विभाग के अनुरोध पर यदि साइकिलिंग हट जाता है तो इंडोर साइकिलिंग के साथ ही रोड साइकिलिंग स्वत: हट जाएगा। यह साइकिलिंग प्रेमियों के लिए झटके के रूप में हो सकता है।

क्या है एक्सपर्ट्स की राय
इंटरनेशनल साइकिलिस्ट मोहित डोभाल के अनुसार प्रदेश में साइकिलिंग को प्रोत्साहन देने के लिए कोई खास पहल नहीं हुई है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में माउंटेन बाइकिंग (साइकिलिंग) सबसे उपयुक्त खेल है। यहां पगडंडियां व ऊबड़-खाबड़ रास्ता आम बात है, जो कि माउंटेन बाइकिंग के लिए चाहिए होता है। अगर प्रदेश सरकार यहां माउंटेन बाइकिंग व रोड साइकिलिंग को प्रोत्साहन दे तो यहां इंटरनेशनल साइकिलिस्ट को भी आकर्षित किया जा सकता है। युवा वर्ग साइकिलिंग से प्रभावित है, लेकिन उन्हें प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। इसके लिए वह अपने स्तर पर साइकिलिंग प्रतियोगिता भी आयोजित करते हैं।

10 साल से साइकिलिंग कर रहे संजय अग्रवाल कहते हैं कि नेशनल गेम्स का आयोजन उत्तराखंड के पास सुनहरा मौका है। अच्छा होता कि यहां साइकिलिंग इंडोर ट्रैक वेलोड्रम तैयार कर लिया जाता। वर्तमान में प्रदेशभर में करीब 500 से ज्यादा युवा साइकिलिस्ट हैं। यदि उन्हें प्रोत्साहन दिया जाए तो ये मेडल लाने की योग्यता रखते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है।

कुछ वरिष्ठ अधिकारीयों के सुझाव

  • उत्तराखंड माउंटेन बाइकिंग (साइकिलिंग) में देश का लोकप्रिय प्वाइंट साबित हो सकता है। यहां देहरादून के धनोल्टी, मालदेवता, थानो, नरेंद्रनगर, टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी समेत अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक रूट हैं, जहां माउंटेन बाइकिंग सबसे उपयुक्त है। यहां इंटरनेशनल साइकिलिंग के लिए भी अपार संभावनाएं हैं।
  • रोड साइकिलिंग के लिए ऋषिकेश जौलीग्रांट, देहरादून-मसूरी, रायपुर रूट, हल्द्वानी-नैनीताल, नैनीताल-अल्मोड़ा समेत अनेकों रूट बेहतर विकल्प हैं। यदि रूट की दूरी सीमित हो तो लैप्ट सिस्टम (यू-टर्न) के रूप में भी ट्रैक स्थापित किए जा सकते हैं।
  • उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से सीख ली जा सकती है। वहां साइकिलिंग प्रतियोगिता में पुरस्कार राशि 50 हजार से पांच लाख रुपये तक की रखी जाती है, जिससे युवा वर्ग साइकिलिंग के लिए प्रोत्साहित होता है। उत्तराखंड में महज पांच से 10 हजार रुपये की पुरस्कार राशि ही मिलती है।
  • साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ उत्तराखंड का साइकिलिंग को प्रोत्साहन देने में बेहद उदासीन रवैया रहा है। सालभर में चैंपियनशिप के लिए चयन के समय ही महज एक-दो कैंप लगाए जाने की सूचना है।
  • सरकार को चाहिए कि साइकिलिंग के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रतियोगिताएं कराई जाएं। इसके लिए वित्तीय प्रबंधन के लिए निजी निवेशकों की सहायता भी ली जा सकती है।  

 2018 से लेना चाहिए सबक
वर्ष 2018 में भी उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का अवसर मिला था, लेकिन तैयारियां पर्याप्त न होने के कारण उत्तराखंड के हाथ से यह मौका चला गया था। इस अनुभव को प्रदेश को सबक के रूप में लेना चाहिए।

प्रदेश में इंडोर साइकिलिंग के लिए वेलोड्रम नहीं है। इसलिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन हमारा प्रयास है कि 2021 में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हों।
बृजेश कुमार संत, सचिव, खेल

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