रायपुर पहुंची राष्ट्रीय गरिमा यात्रा, यौन अपराधों के खिलाफ खुलकर सामने आ रहीं महिलाएं

रायपुर 
महिलाओं और बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए अब पीड़िताएं अब सामने आ गई हैं. 24 राज्यों के 200 जिलों में 10 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर पीड़ित महिलाएं न्याय के लिए निकल पड़ी हैं. इस मार्च के जरिए वो संदेश देना चाहती हैं कि डर और शर्मिंदगी उन्हें हो, जिन्होंने अपराध किया है. इस मार्च को महिलाओं ने राष्ट्रीय गरिमा यात्रा का नाम दिया है. बता दें कि मुंबई से गत 20 दिसंबर को शुरू हुई यह यात्रा रायपुर होते हुए नई दिल्ली पहुंचेगी. यात्रा 22 फरवरी तक चलेगी. इसमें देश भर से पीड़िताएं शामिल हो रही हैं. जब यात्रा की शुरुआत हुई थी तब 20 राज्यों से कुल 5 हजार लोग इसमें जुड़े थे. अभी भी लोग लगातार जुड़ रहे हैं.

मामले में राष्ट्रीय गरिमा अभियान के कन्वेयर आशिफ शेख ने कहा कि देश भर के 24 राज्यों के 200 जिलों में जाने वाले हैं. उनकी कोशिश है कि सरकार, समाज और परिवार को ये संदेश जाए कि जो पीड़ित वे घरों में दुबकना बंद करें और न्याय के लिए आवाज उठाएं. उन्होंने कहा कि अक्सर जिनके साथ गलत होता है समाज उन्हें ही गलत मानती है, जो बंद होना चाहिए. उनका लक्ष्य है कि इस यात्रा 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़े और अपनी बात खुलकर लोगों के सामने रखे.

आपको बता दें कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों की तस्वीर काफी चिंताजनक रही है. वर्ष 2012 में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या करीब 1881 थी, जो वर्ष 2016 में 152 फीसदी बढ़ गई और आंकड़े 4746 पर पहुंच गए हैं. वहीं महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के मामले वर्ष 2012 में 4228 थे, जो 41 फीसदी बढ़कर 5947 पर पहुंच गए हैं. इन आंंकड़ों को देख साफ जाहिर होता है कि छत्तीसगढ़ में अपराधियों किसी का कोई खौफ नहीं है. यही वजह है कि अपराधी खुले आम घूम रहे हैं. वहीं पीड़ित अपराधियों से छुपकर जीने को मजबूर हो गए हैं. हालांकि अब पीड़िताएं खुलकर सामने आने लगी हैं. उनका कहना है कि "हम क्यों किसी से डरें, जब हमने कुछ गलत नहीं किया. डरना तो उन्हें चाहिए जो गलत कर रहे हैं, इसलिए हमें न्याय चाहिए."

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