राज्यसभा से UAPA बिल के बाद निरसन और संशोधन विधेयक पास

नई दिल्ली
राज्यसभा में आज विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) (UAPA) संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया. बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े. इस बिल में आतंक से संबंध होने पर संगठन के अलावा किसी शख्स को भी आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल है. बिल को पहले ही लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है. उच्च सदन में 58 पुराने कानूनों को खत्म करने संबंधी बिल को भी पास किया गया है. साथ ही मजदूरी संहिता बिल पर चर्चा जारी है. लोकसभा से जलियावाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन बिल पास हो चुका है और अब बांध सुरक्षा बिल पर चर्चा हो रही है.
 न्यूनतम मजदूरी न देना अपराध क्यों नहीं: मनोज झा
राज्यसभा में मजदूरी संहिता बिल पर RJD के मनोज झा ने कहा कि मंत्री समेत सिर्फ 40 लोग सदन में मौजूद हैं, यही श्रम और पूंजी के बीच का फर्क है. उन्होंने कहा कि पूंजी की चर्चा पर सदन खचाखच भरा होता, लेकिन श्रम की चर्चा पर सिर्फ 40 लोग मौजूद हैं. झा ने कहा कि हम उचित मजदूरी की मांग करते-करते न्यूनतम मजदूरी पर आ गए हैं, यही वजह से कि देश से ट्रेड यूनियन गायब हो गई हैं. मजदूरी तय करने के लिए सरकार के एडवाइजरी बोर्ड में श्रमिकों को छोड़कर सभी होते हैं. न्यूनतम मजदूरी ने देने वालों के लिए आप हर्जाने की बात करते हैं लेकिन सजा दने से क्यों डर जाते हैं, ऐसा क्या पूंजी का डर है. क्यों इसे आपराधिक मामला नहीं बनाया जाना चाहिए. आजकल एक देश एक कानून, एक देश एक चुनाव की चर्चा होती है तो एक देश एक उचित मजदूरी क्यों नहीं होनी चाहिए. 
लोकसभा में बांध सुरक्षा बिल पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि पानी एक ऐसा मुद्दा है जिसपर हर राज्य अपना अधिकार चाहता है. लेकिन इस बिल में राज्यों से अधिकार छीने जा रहे हैं, केंद्र अगर बांधों  की सुरक्षा के लिए गंभीर है तो राज्यों की सहमति से वह ऐसा कर सकता है लेकिन इसके लिए कोई निर्देश नहीं जारी किए जा सकते. मोइत्रा ने कहा कि केंद्र से राज्यों को मिलने वाले फंड पर यह बिल कुछ नहीं कहता है. राज्यों का बांध सुरक्षा समिति और संगठन के गठन में पैसा खर्च होगा वह कहां से आएगा और जब राज्य पैसा लगाएंगे को केंद्र की दखल क्यों बर्दाश्त करेंगे. साथ ही समिति के सदस्यों में भी राज्यों को मुनासिब प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. समिति के सभी फैसले केंद्र की मर्जी से लिए जाएंगे क्योंकि राज्यों की भागीदारी कम है. 
मजदूर संहिता बिल पर चर्चा
राज्यसभा में मजदूर संहिता बिल पर बोलते हुए सपा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद ने कहा कि देश भर में मजदूरों के खिलाफ अत्याचार हो रहा है और ठेकेदार उनका शोषण कर रहे हैं. कंपनियों से ज्यादा पैसा लेकर ठेकेदार मजदूरों को आधा पैसा दे रहे हैं. देश भर में समान मजदूरी लागू होनी चाहिए क्योंकि इससे लोगों को पलायन करना पड़ रहा है. मजदूरी में भी महिला और पुरुष के साथ भेदभाव होता है और समान पैसा नहीं दिया जाता. इसके अलावा बाल मजदूरी पर भी रोक लगानी चाहिए, तमाम घरों में बच्चों को काम पर लगाया गया है. निषाद ने कहा कि गटर साफ करने की मशीनें आज तक देश में नहीं आ पाई हैं और रोज कई मजदूर गटर साफ करते हुए जान गंवा रहे हैं.
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *