राज्यसभा में पास होगा धन्यवाद प्रस्ताव या टूटेगी परंपरा?: राष्ट्रपति का अभिभाषण

 
नई दिल्ली 

आम चुनाव से पहले सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों की तल्खी संसद से लेकर सड़क तक खुलकर दिख रही है। लोकसभा में तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पास हो गया है लेकिन राज्यसभा में यह प्रस्ताव अभीतक पास नहीं हुआ है। संसद सत्र का आज आखिरी दिन है, ऐसे में आज सबकी नजरें राज्यसभा पर लगी होंगी जहां सरकार धन्यवाद प्रस्ताव को पास कराने की जीतोड़ कोशिश कर रही है। 1991 और 1996 में राजनीतिक कारणों की वजह से धन्यवाद प्रस्ताव पास नहीं हो सका था। 
 
राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 87 के क्लॉज 1 के तहत संसद के साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 82 के क्लॉज 2 के तहत संसद के दोनों सदनों को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्च करके धन्यवाद प्रस्ताव को पास करने की परंपरा रही है। 

राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार द्वारा तैयार किया जाता और यह सरकार की पॉलिसी की तरह होता है। विपक्षी दलों ने अभिभाषण में कई संशोधन का नोटिस दे रखा है। 2015 के पहले ऐसा केवल तीन बार ही हुआ जब राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन हुआ हो। (पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, पूर्व पीएम वीपी सिंह और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान एक-एक बार) 2014 और 2015 में राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर संशोधन स्वीकार किए गए थे। 

सरकार के लिए यह काफी अहम होता है क्योंकि संविधान के तहत जरूरी होता है। संसद को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को रिकॉर्ड करना होता और इसके बारे में राष्ट्रपति भवन को बताना होता है। केवल दो बार ही ऐसा हुआ है जब धन्यवाद प्रस्ताव पास नहीं हो सका था। 1991 में पूर्व पीएम चंद्रशेखर के इस्तीफे के कारण ऐसा नहीं हो सका था और 1996 में पूर्व पीएम वाजपेयी के 13 दिन की सरकार के इस्तीफे के कारण भी धन्यवाद प्रस्ताव पास नहीं हो सका था। 2004 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान धन्यवाद प्रस्ताव बिना किसी चर्चा के ही पास हो गया था। 

ऐसे में सरकार विपक्ष के कुछ संशोधन को स्वीकार कर राज्यसभा से धन्यवाद प्रस्ताव पास कराने की कोशिश कर सकती है। सरकार के सूत्रों ने बताया कि विपक्ष की रणनीति पीएम नरेंद्र मोदी को चर्चा का जवाब देने से रोकना भी हो सकता है। तो आज सबकी नजरें राज्यसभा पर होंगी कि क्या परंपरा का पालन होगा या फिर परंपरा टूटेगी? 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *