राज्यसभा की रेस में पिछड़ रहे हैं दिग्विजय सिंह?

भोपाल
एमपी से राज्यसभा की 3 सीटों के लिए 19 जून को वोटिंग होगी। कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद 2 सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही है। वहीं, कांग्रेस ने भी 2 उम्मीदवार उतारे। दिग्विजय सिंह (digvijay singh) प्राथमिक सीट से हैं, तो उनकी जीत अभी तक पक्की मानी जा रही है। लेकिन बदले सियासी हालात में अब उन्हें लेकर संशय बरकरार है। पार्टी उपचुनाव को देखते हुए एमपी में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। साथ ही पार्टी के अंदर से ही यह आवाज उठ रही है कि फुल सिंह बरैया को राज्यसभा भेजा जाए।

दरअसल, कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा के लिए जब 2 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था, तब प्रदेश में सरकार थी। उस वक्त तक यह तय था कि कांग्रेस 2 सीटें निकाल सकती हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। उसके बाद सियासी समीकरण बदल गए हैं। अभी के हालात में 2 सीट पर बीजेपी की जीत पक्की है। वहीं, राज्यसभा चुनाव के बाद एमपी में 24 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। 24 में से 16 सीट ग्वालियर-चंबल संभाग में हैं।

पिछड़ सकते हैं दिग्गी
कांग्रेस के हाथ से सत्ता जाने के बाद चुनावों का समीकरण बदल गया है। चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही दलित चेहरे को राज्यसभा में भेजने की मांग उठने लगी है। साथ ही दिग्गी विरोधी खेमा यह मांग करने लगे हैं कि बरैया को राज्यसभा भेज बीजेपी का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। बरैया के पक्ष में लॉबिंग कर रहे नेताओं का तर्क है कि उन्हें राज्यसभा भेज में आरक्षित वर्ग के वोटों का लाभ ले सकते हैं। अगर पार्टी इस पर राजी हो गई तो दिग्विजय सिंह राज्यसभा नहीं पहुंच पाएंगे।

ये हैं चर्चा
ग्वालियर-चंबल इलाके में आरक्षित वर्गों का वोट काफी है। बरैया समर्थकों के तर्क पर दिग्गी खेमा ने भी जवाब दिया है। दिग्विजय सिंह के लोगों का कहना है कि राज्यसभा इन्हें ही भेजा जाए। फुल सिंह बरैया को उपचुनाव में पार्टी किसी सीट से उम्मीदवार बनाए। इससे भी आरक्षित वर्ग के वोट पार्टी के पक्ष में आएंगे। वहीं, मीडिया से बात करते हुए फुल सिंह बरैया ने कहा कि जब तक निर्वाचन नहीं हो जाता तब तक वे मुकाबले में हैं। कांग्रेस ने मुझे उम्मीदवार बनाया है।

बदल गया है समीकरण
दरअसल, एमपी में 23 मार्च तक कांग्रेस की सरकार थी। सिंधिया समर्थकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ की सरकार चली गई। सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों को मिलाकर कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 121 थी। वहीं, बीजेपी के पास 107 विधायक थे। तत्कालीन समीकरण के हिसाब से कांग्रेस को राज्यसभा की 2 सीटें मिल रही थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा देकर समीकरण बदल दिया है। ऐसे में अब कांग्रेस 1 ही सीट जीत सकती है। बदले हालत में पार्टी को ही तय करना है कि राज्यसभा कौन जाएगा।

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