राजीव गांधी की अंत्येष्टि: मंजर जिसे देख सबका कलेजा फट रहा था

 नई दिल्ली
21 मई, 1991 की भयावह रात। रात 10 बजकर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर शहर में एक धमाके में राजीव गांधी की दर्दनाक मौत हो गई थी। अगले दिन उनका शव दिल्ली पहुंच गया। राजीव गांधी के शव को जनता के दर्शनों के लिए तीन मूर्ति भवन में रखा गया। 24 मई को अंत्येष्टि रखी गई। तब तक राहुल गांधी अमेरिका से वापस आ चुके थे। उन्होंने शक्ति स्थल पर पिता की चिता को मुखाग्नि दी। 
 
तीन मूर्ति से वीरभूमि तक खड़े थे लोग
राजीव गांधी की शव यात्रा लुटियंस दिल्ली से निकलकर आईटीओ होते हुए अपने गंतव्य पर पहुंच रही थी। सड़क के दोनों तरफ लाखों दिल्लीवाले अपने अजीज नेता के अंतिम दर्शनों के लिए खड़े थे। दिल्ली में सूरज आग उगल रहा था। गर्मी को झेलते हुए शोकाकुल दिल्ली सड़कों से हिलने का नाम नहीं ले रही थी। सब नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दे रहे थे। इन्हीं सड़कों से पहले पंडित जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी और संजय गांधी की शव यात्राएं निकलीं थीं। तब भी सड़कों पर लाखों लोग खड़े थे। इसी मार्ग से महात्मा गांधी की भी शवयात्रा निकली थी। तब कहते हैं कि सैकड़ों लोग अपने घरों से अंत्येष्टि के लिए घी लेकर आए थे। हजारों ने अपने सिर मुंडवाए थे। 

अंत्येष्टि स्थल पर नवाज शरीफ और बेनजीर भी
राजीव गांधी के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी प्रतिद्धंदी बेनजीर भुट्टो, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया, फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के प्रमुख यासर अराफात आए थे। अराफात तो बार-बार फफक कर रो भी पड़ते थे। राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, ज्योति बसु, लाल कृष्ण आडवाणी, सुनील दत्त समेत तमाम गणमान्य लोग भी अंत्येष्टि स्थल पर मौजूद थे। सभी गमगीन थे। करीब डेढ़ घंटे तक चली अंत्येष्टि। इन सबने देखा था अपार जनसमूह के सामने राजीव गांधी की अंत्येष्टि को होते हुए। काला चश्मा पहने सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल को मुखाग्नि देने के कठोर काम को सही प्रकार से करवा रहीं थीं। जो भी उस मंजर को देख रहा था, उसका कलेजा फट रहा था। अमिताभ बच्चन भी वहां पर थे। 

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