राजस्थान में 13 बदमाशों की अंडरवेअर परेड

जयपुर
राजस्थान के अलवर में पुलिस की हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। बहरोड़ में हाथों में हथकड़ी पहने अर्धनग्न अवस्था में 13 आरोपियों को पुलिस ने जब बीच बाजार घुमाया तो एकबारगी लोगों के समझ में नहीं आया कि आखिर हो क्या रहा है। इन सभी पर हरियाणा के एक गैंगस्टर विक्रम उर्फ पपला को पुलिस हिरासत से फरार कराने का आरोप है। रविवार को पुलिस ने 13 आरोपियों की अंडरवेअर-बनियान में परेड कराई।

अंडरगारमेंट में बहरोड़ बाजार में परेड
हालांकि पुलिस का दावा है कि क्राइम सीन को रिक्रिएट करने के लिए यह एक तरह का मौका मुआयना था। 6 सितंबर को बहरोड़ पुलिस थाने से गैंगस्टर विक्रम सिंह उर्फ पपला पुलिस हिरासत से फरार हो गया था। इस मामले की तफ्तीश कर रही पुलिस हथियारों से लैस जवानों के साथ 13 आरोपियों को अंडरगारमेंट में सड़क पर परेड कराते दिखी। इस दौरान कई राहगीरों ने घटना को अपने मोबाइल पर भी रिकॉर्ड कर लिया।

पुलिस ने बताया रूटीन प्रक्रिया
भिवाड़ी के एसपी अमनदीप सिंह कपूर ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'क्राइम सीन को रिक्रिएट करने के लिए हमने उन्हें बाहर निकाला था, जोकि आपराधिक मामलों की जांच में एक रूटीन प्रक्रिया है। हमारा जनता के बीच किसी तरह का संदेश देने का कोई इरादा नहीं था।'

150 जवानों के साथ 2 किमी तक परेड
एक कमांडो यूनिट समेत 150 जवानों के दलबल के साथ आरोपियों की दो किलोमीटर तक परेड कराई गई। इसके बाद उन्हें पुलिस वैन में बिठा दिया गया। हाईवे पट्रोल टीम ने 6 सितंबर को गैंगस्टर विक्रम को गिरफ्तार किया था और यह जानकारी लीक होने के कुछ ही घंटों के भीतर एके-47 और सेमी ऑटोमेटिक हथियारों से लैस दर्जन भर बदमाशों ने थाने पर धावा बोलकर उसे छुड़ा लिया था। रविवार को इस मामले में पकड़े गए सभी आरोपियों की बहरोड़ के व्यस्त बाजार में परेड निकाली गई।

इस घटना की तस्वीरें वायरल होने के बाद राजस्थान पुलिस सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गई। एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, '6 सितंबर के बाद से ट्रैफिक नियम तोड़ने और यहां तक कि चालान का विरोध करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। उन्हें निशाना बनाने के बजाए पुलिस को गैंगस्टर विक्रम का पता लगाना चाहिए।'

अधिकारी ने यह भी कहा कि रविवार को 13 आरोपियों की निकाली गई पब्लिक परेड पुलिस में जनता का भरोसा बहाल कर सकती है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि आरोपियों की परेड कराने के पीछे यही मकसद था। सूत्रों का कहना है कि राजस्थान पुलिस के दावे के उलट इस तरह से मौका मुआयना कराने का कोई पुराना इतिहास नहीं मिलता है।

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