रख रहे हैं उपवास तो भूले से भी इन बातों को ना करें नजरअंदाज

नवरात्रि का त्योहार माता के नौ अलग अलग रूपों के जश्न मनाने का महापर्व है। इस साल चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू होंगे और नवमी 14 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दौरान भक्त यदि पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं तो माता प्रसन्न होकर उन्हें सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

शक्ति के सम्मान के लिए लोग उनकी आराधना और उपासना करते हैं। इस साल नवरात्रि पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। भक्त नवरात्रि का लाभ पाने के लिए उपवास रखते हैं लेकिन इसका पूर्ण फल पाने के लिए उन्हें कुछ जरूरी सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि नवरात्रि के उपवास के दौरान किन बातों का ध्यान रखना है तथा जानते हैं कि किस दिन माता के कौन से रूप की पूजा करनी है। साथ ही उस दिन से जुड़ा कौनसा खास संयोग है।

बाल काटने की मनाही
नवरात्रि के नौ दिनों तक व्यक्ति खासतौर से जो उपवास रख रहा हो उसे बाल तथा दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।

घर ना छोड़ें खाली
अगर नवरात्रि में आप अपने घर में कलश की स्थापना कर रहे हैं और साथ ही अखंड ज्योत जला रहे हैं तो ध्यान रहे कि गलती से भी लौ बुझ ना पाए। साथ ही घर को कभी खली छोड़कर ना जाएं। कम से कम एक सदस्य घर में जरूर होना चाहिए।

मांसाहार का त्याग
इस दौरान मांसाहार भोजन का सेवन ना करें। इतना ही नहीं आप प्याज, लहसुन वाला भोजन भी ना खाएं।

नींबू काटना होता है अशुभ
नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक भूल से भी नींबू ना कांटे। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

दोपहर में ना सोएं
मां शक्ति को समर्पित इन नौ दिनों के अंतराल में भक्त को दिन में सोना नहीं चाहिए। विष्णु पुराण में ऐसा करने की मनाही है। मान्यता है कि इससे व्रत का उचित फल नहीं मिलता है।

चमड़े की चीजों का ना करें उपयोग
चमड़े से तैयार किए सामान जैसे जूते चप्पल, बैग, बेल्ट, जैकेट आदि का इस्तेमाल ना करें।

काले कपड़ों से बनाएं दूरी
चैत्र नवरात्रि के दौरान काले कपड़े ना पहनें।

अनाज और नमक का करें त्याग
नवरात्रि का उपवास रखने वाले भक्तों को अपने भोजन में नमक और अनाज को शामिल नहीं करना चाहिए।

जानें किस दिन होगी किस देवी की पूजा और कौन सा पड़ेगा शुभ संयोग

6 अप्रैल (शनिवार): घट स्थापन व मां शैलपुत्री पूजा, मां ब्रह्मचारिणी पूजा, रेवती नक्षत्र

7 अप्रैल (रविवार): मां चंद्रघंटा पूजा, सर्वार्थ सिद्धि शुभ योग द्वितीया

8 अप्रैल (सोमवार): मां कुष्मांडा पूजा, कार्य सिद्धि रवि योग तृतीया

9 अप्रैल (मंगलवार): मां स्कंदमाता पूजा, सर्वार्थ सिद्धि योग चतुर्थी

10 अप्रैल (बुधवार): पंचमी तिथि सरस्वती आह्वाहन, लक्ष्मी पंचमी योग पंचमी तिथि

11 अप्रैल (वीरवार): मां कात्यायनी पूजा, षष्ठी तिथि रवियोग

12 अप्रैल (शुक्रवार): मां कालरात्रि पूजा, सप्तमी तिथि सर्वार्थसिद्धि योग

13 अप्रैल (शनिवार): अष्टमी तिथि स्मार्त मतानुसार

14 अप्रैल (रविवार): मां महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी, महानवमी, रवि पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि नवमी वैष्णव मतानुसार

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