पोकरण जैसा सीक्रेट था ‘मिशन शक्ति’, सिर्फ 5 या 6 लोगों को ही थी जानकारी

  बेंगलुरु
भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल की लॉन्चिंग के मिशन की जानकारी बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया को दी थी। महज 3 मिनट में सैटलाइट को मार गिराने का यह मिशन पूरी तरह से सीक्रट रखा था और सिर्फ 5 से 6 लोगों के ग्रुप को ही इस संबंध में जानकारी थी। तकनीकी रूप से काफी जटिल इस मिशन को लेकर सरकार ने पूरी गोपनीयता बरती थी। 
 
डीआरडीओ के वैज्ञानिक सतीश रेड्डी ने कहा कि इस प्रॉजेक्ट पर बीते करीब 6 महीने से 300 वैज्ञानिक और स्टाफ दिन रात काम कर रहे थे। यहां कि मंगलवार की शाम तक 5 से 6 लोगों के अलावा मिसाइल लॉन्चिंग की टाइमिंग को लेकर किसी को जानकारी नहीं थी। इससे पहले मई, 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में इसी तरह गोपनीयता बरतते हुए परमाणु परीक्षण किया गया था। 

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भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक सतीश रेड्डी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'आमतौर पर हमें एक सैटलाइट की गति को देखते हुए इसे इंटरसेप्ट करने के लिए एक सेकंड से भी कम का वक्त मिलता है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें गाइ़डेंस कंट्रोल, मिशन कंप्यूटर और सिस्टम्स की जरूरत होती है, जिनकी वजह से एक्यूरेसी और रिलेटिव टाइमिंग में मदद मिलती है।' 

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इस मिशन की सराहना करते हुए डीआरडीओ के पूर्व चीफ अविनाश चंदर ने कहा कि इससे भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन के लंबी रेंज की ऐंटी-बलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को विस्तार मिला है। हालांकि उन्होंने कहा कि सैटलाइट किलर प्रॉजेक्ट को काफी पहले शुरू किया गया था और यह बेहद अलग है। 

चंदर ने कहा, 'सैटलाइट बेहद अलग चीज है। इसकी वेलोसिटी काफी अधिक होती है। साइज छोटा होता है और आपके पास उसके डेटा को जुटाने के लिए बेहद कम वक्त होता है। ऐसे में आपको अच्छे बूस्टर वीकल्स की जरूरत होती है, जो यह बता सकें कि आप टारगेट तक कितने वक्त में पहुंच सकते हैं। इसके अलावा ऐंटी-सैटलाइट वीकल भी होना चाहिए, जिससे सैटलाइट को ट्रैक किया जा सके और दूरी तय हो सके। इस पूरे काम के लिए आपके पास महज 10 से 15 सेकंड ही होते हैं।' 

इस परीक्षण से भारत ने बाहरी अंतरिक्ष में अपने एसेट्स को सुरक्षित रखने की क्षमता हासिल कर ली है। किसी भी तरह की विवाद की स्थिति में ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल भारत को बड़ी बढ़त देने वाली है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके जरिए भारत अधिक ऊंचाई से आने वाली मिसाइलों से निपटने में भी मदद मिलेगी। भारत के बेड़े में पहले से ही बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम के तहत पहले से ही बहुत सी मिसाइलें हैं। 
 

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