ये आदतें बना सकती हैं हेपेटाइटिस का मरीज

हेपेटाइटिस लिवर में सूजन की समस्या को कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के मुताबिक हर साल लाखों लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित होते हैं और हजारों लोग इस रोग से पीड़ित होकर अपनी जान गंवा देते हैं। हेपेटाइटिस के वायरस 5 तरह के होते हैं- हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई और इनकी वजह से लिवर में जलन और संक्रमण हो जाता है। कई बार हेपेटाइटिस के चलते लिवर फाइब्रोसिस या लिवर कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है। हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी आदतों के बारे में जिन्हें अगर आपने तुरंत नहीं बदला तो आप भी बन सकते हैं हेपेटाइटिस के मरीज…

संक्रमित पानी से
हेपेटाइटिस के वायरस कई बार पानी के जरिए भी फैलते हैं। दरअसल, इसके वायरस बहुत शक्तिशाली होते हैं जो आसानी से मरते नहीं हैं और बहुत तेजी से बढ़ते जाते हैं। ऐसे में कई बार ताजे फल और सब्जियों के जरिए भी ये वायरस किसी व्यक्ति तक आसानी से पहुंच सकते हैं। इससे बचाव के लिए आप जो भी फल और सब्जियां बाजार से लाते हैं, उसे अच्छी तरह धोएं और सब्जियों को पकाकर ही खाएं। कहीं बाहर जाएं तो कोशिश करें कि अपनी बॉटल साथ लेकर जाएं या फिर मिनरल वॉटर ही पिएं।

हाथों के संपर्क से
हेपेटाइटिस ए के वायरस शरीर के बाहर भी महीनों तक जी सकते हैं। इसलिए आपको साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए आपको हाथों को हमेशा ऐंटि-बैक्टीरियल साबुन, लिक्विड हैंडवॉश या सैनिटाइजर से साफ रखना चाहिए।

दूसरे के मेकअप प्रॉडक्ट्स से बचें
कभी भी दूसरों का मेकअप प्रॉडक्ट नहीं इस्तेमाल करना चाहिए। इसका कारण है कि ये बेहद पर्सनल चीज है और अगर व्यक्ति हेपेटाइटिस का रोगी नहीं भी है मगर उसके शरीर पर इसके वायरस हैं तो उसके मेकअप प्रॉडक्ट्स, शैंपू, क्रीम आदि के जरिए ये वायरस आपको भी प्रभावित कर सकते हैं।

कच्ची मछलियों के जरिए
कई बार मछलियां ऐसे संक्रमित पानी से पकड़ी गई होती हैं, जिनमें बहुत सारे वायरस और बैक्टीरिया होते हैं। ऐसे में अगर आप आधी पकी हुई या कच्ची मछली खा लेते हैं या कच्ची मछलियों के साथ कोई फल और सब्जी रख देते हैं, तो भी इसके वायरस फैल सकते हैं। हेपेटाइटिस के वायरस आमतौर पर हर जैविक चीज से चिपक जाते हैं।

बच्चे का भी रखें ख्याल
हेपेटाइटिस एक तरह का संक्रामक रोग है। कई बार छोटे बच्चों को हेपेटाइटिस होता है। ऐसे में डाइपर आदि बदलते समय या शौच क्रिया करवाने के दौरान इसके वायरस उस व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकते हैं, जो उस समय बच्चे के आसपास होता है। लिहाजा जरूरी बातों का रखें ध्यान।

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