यूपी सरकार ने खारिज की IMT की अर्जी

गाजियाबाद
 इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आइएमटी) की जमीन का आवंटन पुरानी दर पर ब्याज लेकर बहाल नहीं होगा। प्रमुख सचिव आवास ने आइएमटी प्रबंधन की अर्जी को खारिज कर दिया है। निर्णय सुनाया है कि वर्ष 1999 के शासनादेश की शर्तों को पूरा करने पर ही पुर्नावंटन किया जा सकेगा। शासनादेश के फार्मूले के हिसाब से आइएमटी प्रबंधन को जमीन की कीमत करीब 75 करोड़ रुपये चुकानी होगी।

जीडीए वीसी कंचन वर्मा ने बताया कि जल्द इस निर्णय की कॉपी इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी। इस प्रसिद्ध संस्थान के प्रेसिडेंट बकुलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे हैं।

आइएमटी ने नहीं किया था भुगतान

राजनगर सेक्टर-20 में वर्ष 1981 में आइएमटी को 11503.34 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी। तब आइएमटी को 1.95 लाख रुपये देने थे। आवंटन के बाद आइएमटी ने भुगतान नहीं किया। वर्ष 1994 तक जीडीए की तरफ से लगातार भुगतान के संबंध में नोटिस भेजे गए। बकाया धनराशि जमा न होने पर जीडीए ने किसी तरह का कड़ा रुख नहीं अपनाया। बाद में नोटिस भेजने भी बंद कर दिए।

पार्षद राजेंद्र त्यागी ने की थी शिकायत

इस वर्ष पार्षद राजेंद्र त्यागी ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री को भेजी। उसके बाद जीडीए ने जांच कराई गई। जांच में आरोप सही मिलने पर जीडीए ने इस जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ आइएमटी प्रबंधन इलाहाबाद हाईकोर्ट गया। वहां से आदेश हुआ था कि आइएमटी प्रबंधन पहले पांच करोड़ रुपये जीडीए में जमा कराए। फिर प्रमुख सचिव आवास आइएमटी प्रबंधन के प्रत्यावेदन पर निर्णय करें।

आइएमटी प्रबंधन ने इस आदेश का पालन करते हुए धनराशि जमा करा दी। साथ ही प्रमुख सचिव आवास के यहां दो अर्जियां लगाईं। एक में कहा कि वर्ष 1981 की दर पर ब्याज लगाते हुए निरस्त आवंटन को पुनर्बहाल कर दिया जाए। दूसरी अर्जी में तोड़फोड़ न करने की मांग की। इस मामले में प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने 30 अगस्त को सुनवाई की थी।

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