यूपी में मदरसों के विद्यार्थी अब गाएंगे तराना…कश्मीर की धरती रानी है

 
लखनऊ 

उत्तर प्रदेश के मदरसों के विद्यार्थी अब जल्द ही आपको 'कश्मीर की धरती रानी है…' यह तराना गुनगुनाते मिलेंगे। राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का गीत आपको इसलिए मदरसों के विद्यार्थियों से सुनाई देगा क्योंकि हाल ही में हुई बैठक में मदरसा बोर्ड ने सभी मदरसों में एनसीसी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने को मंजूरी दे दी है। यही नहीं, मदरसों में स्कॉउट और गाइड कार्यक्रम के अलावा राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रमों के भी संचालन को मंजूरी दे दी गई है। मदरसा बोर्ड की हालिया बैठक में अनुपूरक अजेंडे के तहत ये प्रस्ताव रखे गए, इन पर बोर्ड ने मुहर लगा दी। 

बोर्ड ने इन कार्यक्रमों के संचालन के पीछे तर्क दिया है कि इनसे मदरसा विद्यार्थियों में देशभक्ति, भाईचारा, शारीरिक विकास और समाज सेवा जैसे गुणों का विकास होगा। बोर्ड का दावा है कि यह सभी कार्यक्रम मदरसों के आधुनिकीकरण की दिशा में उठाए जा रहे कदमों के तहत लिए जा रहे हैं। हालांकि इन कार्यक्रमों को चलाने का प्रस्ताव बोर्ड की मीटिंग में अनुपूरक अजेंडे के तहत रखा गया। 

अब मदरसों में भी होगा एक विषय का एक ही पेपर 
बोर्ड ने फैसला लिया है कि अब मदरसा में पढ़ाए जाने वाले सभी विषयों का एक ही पेपर होगा। पहले एक ही विषयों के दो या इससे भी ज्यादा प्रश्नपत्रों में इम्तिहान लिया जाता था। इस तरह की व्यवस्था को बदलने के लिए बोर्ड ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के हालिया बदलावों को अपनाने का फैसला किया है। हाल ही में यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में एक विषय के एक ही प्रश्नपत्र में परीक्षा लेकर परीक्षा के दिनों को घटाने का फैसला लेकर उसपर अमल किया है। मदरसा बोर्ड की बैठक में इसका फैसला लेने के पीछे सदस्यों ने तर्क रखा कि अगर बाकी के बोर्ड इस तरह की प्रणाली को लागू कर सकते हैं तो मदरसा बोर्ड को भी यह पद्धति अपनानी चाहिए। वहीं, बोर्ड ने मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं यूपी बोर्ड के दरम्यान ही कराने का भी फैसला लिया है। पहले मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं यूपी बोर्ड की परीक्षाओं के बाद होती थीं। 

विषयों के परिवर्तन पर लगाई गई रोक 
मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार ने बताया कि बोर्ड ने एक विद्यार्थी को मदरसों में विषयों के परिवर्तन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। बोर्ड के सामने यह प्रस्ताव रखा गया कि तमाम विद्यार्थी अरबी से फारसी और फारसी से अरबी में आवेदन करते पाए गए हैं। इसके अलावा तमाम प्रकरण ऐसे भी हैं जबकि एक साल एक विद्यार्थी एक मदरसे से परीक्षा देता है और दूसरे साल किसी और मदरसे से। यही नहीं, कई विद्यार्थियों के ऐसे भी प्रकरण सामने आए हैं जबकि पहले साल में विद्यार्थी ने शिया या सुन्नी दीनियत में परीक्षा देने के बाद अगले साल दीनियत का स्ट्रीम ही बदल दिया हो। ऐसे में बोर्ड ने फैसला लिया है कि न तो अब विद्यार्थी स्ट्रीम बदल सकेंगे और न ही परीक्षाओं के लिए मदरसे बदल सकेंगे। अब हर विद्यार्थी को पूरी परीक्षा एक ही मदरसे से पास करनी होगी। 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *