यूपी : कोरोना को हराने में जुटे हैं KGMU के योद्धा, 42 दिनों से नहीं गए घर

लखनऊ
कोरोना के चंगुल में फंसे लोगों की जिंदगी बचाने में डॉक्टर के साथ प्रयोगशाला में तैनात रिसर्च साइंटिस्ट और टेक्नीशियन की भूमिका भी अहम है। ये लोग दिन रात मेहनत कर प्रदेश भर से आने वाले नमूनों की जांच कर रहे हैं। जांच ही इलाज की दिशा तय कर रही है।

केजीएमयू प्रशासन ने माइक्रोबायोलॉजी विभाग की बीएसएल थ्री लैब में कार्यरत कर्मचारियों के बेहतर काम को साझा किया। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह और माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमिता जैन के मुताबिक फरवरी के पहले सप्ताह से बीएसएल थ्री प्रयोगशाला में कोरोना की जांच चल रही है। खास तरीके की इस लैब में बाहर की हवा से लेकर पानी तक साफ होकर जाता है। जरा सी चूक पूरे शहर में वायरस फैला सकती है। इसलिए अत्याधिक सावधानी बरती जा रही है।

केजीएमयू में अब तक कोरोना के शक में 1250 नमूनों की जांच हुई है। कोरोना की पुष्टि से पहले तक उसे एक फ्लू के तौर पर आंका जाता है। खतरनाक वायरस की कई चरणों में जांच होती है। इसमें रिसर्च सांइटस्टि, लैब टेक्नीशियन और प्रयोगशाला सहायक की भूमिका अहम है। ये लोग 42 दिनों से घर नहीं गए हैं। अस्पताल के क्वारेंटाइन में रहकर लोगों की जिंदगी बचा रहे हैं।

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