यूजर्स की प्रिवेसी के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका डेटा लीक

यूजर्स के डेटा लीक होने के मामले पिछले कुछ सालों में काफी बढ़े हैं। ऑनलाइन शॉपिंग और बैंकिंग जैसी सुविधाओं के आने से इसमें और बढ़त देखी गई है। जालसाजों के लिए यूजर्स का डेटा काफी कीमती होता है और वे इसे बेचकर करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं। आमतौर पर माना जाता है कि डेटा लीक की घटनाएं सिर्फ हैकिंग के कारण ही होती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। कई बार सिस्टम में मौजूद खामी और सिक्यॉर सर्वर के न होने से भी यूजर्स का डेटा गलत लोगों तक पहुंच जाता है। यहां हम आपको साल 2019 के कुछ बड़ी डेटा लीक की घटनाओं के बारे में बता रहे हैं जिनके कारण भारतीय यूजर्स को काफी मुकसान पहुंचा है।

एसबीआई के 40 करोड़ से ज्यादा यूजर्स का डेटा लीक
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के 42.2 करोड़ यूजर्स का डेटा इस साल लीक हुआ। डेटा लीक की वजह अनप्रोटेक्टेड सर्वर को बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि एसबीआई अपने एक सर्वर को सिक्यॉर करना भूल गया था जिससे इसके 42.2 करोड़ ग्राहक के डेटा लीक हो गए। ये वे यूजर थे जो एसबीआई कि क्विक सर्विस का इस्तेमाल करते थे। डेटा लीक की यह घटना दिसंबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच की है। इसमें यूजर्स के फोन नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, बैंक बैलेंस और रीसेंट ट्रांजैक्शन की जानकारी लीक हुई थीं।

डार्कवेब पर हुई डेटाबेस की सबसे बड़ी बिक्री
अक्टूबर में डार्कवेब पर भारतीय बैंको के 13 लाख क्रेडिट और डेबिट की जानकारी बिक्री के लिए मौजूद थी। सिंगापुक की एक साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी ग्रुप IB के बताया कि इन डेटा को 100 डॉलर प्रति कार्ड के हिसाब से बेचा जा रहा था। डार्क वेब पर इन कार्ड की जानकारी 28 अक्टूबर 2019 को डाली गई थी।

भारतीय हेल्थकेयर वेबसाइट्स पर हुआ अटैक
फरवरी 2019 में 'fallensky519' नाम के एक हैकर ने भारतीय हेल्थकेयर वेबसाइट पर अटैक कर 68 लाख यूजर्स के डेटा को चुरा लिया था। अमेरिकी साइबर सिक्यॉरिटी फर्म फायरआई के मुताबिक यह काम चाईनीज हैकर्स की करतूत हो सकती है। डेटा लीक को सर्वर हैकिंग से अंजाम दिया गया था। 1 अक्टूबर 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच हुए इस डेटा लीक में यूजर्स की पर्सनल आइडेंटिटी से जुड़ी कई जानकारियां लीक हो गई थीं।

जस्टडायल के यूजर्स पर भी हुआ साइबर अटैक
राजशेखर राजहरिया नाम के एक सिक्यॉरिटी रिसर्चर ने जस्टडायल यूजर्स के डेटा लीक होने का पता लगाया। इस साइबर अटैक की चपेट में कंपनी के ऐप यूजर्स ही नहीं, बल्कि 2015 से 2019 के बीच कंपनी की हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने वाले सभी यूजर्स आ गए थे। असुरक्षित सर्वर के कारण हुए इस साइबर अटैक में 10 करोड़ यूजर्स के नाम, नंबर और अड्रेस का डेटा लीक हुआ था।

डेटिंग ऐप भी नहीं रहे सेफ
ग्रिंडर नाम का एक डेटिंग ऐप यूजर्स के लोकेशन को सार्वजनिक करने के कारण जांच के घेरे में आ गया था। एक जांच में पाया गया कि ऐसे ही तीन और डेटिंग ऐप- 3फन, रोमियो और रिको भी अपने यूजर्स की लोकेशन को पब्लिक कर रहे हैं। इन ऐप्स के कारण रोज 30 लाख यूजर्स के लोकेशन की जानकारी डार्क वेब पर उपलब्ध कराए जा रहे थे। डेटा ब्रीच की यह घटना अगस्त 2019 से शुरू हुई थी।

फेसबुक के 60 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक
फेसबुक के इस डेटा लीक में 60 करोड़ यूजर्स को नुकसान पहुंचा। इस लीक के कारण फेसबुक में काम करने वाले हजारों कर्मचारी यूजर्स के पासवर्ड को देख सकते थे। सिक्यॉरिटी फर्म केबर्नसिक्यॉरिटी ने पाया कि 2012 सेल लेकर अब तक के पासवर्ड को बिना इनक्रिप्शन के टेक्स्ट फॉर्मैट में फेसबुक के सर्वर में स्टोर किया गया था। इस डेटा लीक का कारण भी सर्वर के सिक्यॉरिटी में आई खामी के कारण हुई।

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